वसंत आया तो अपने ही एक पुराने लेख की याद आ गई- प्रभात रंजन ======================================== ‘यह कैसा युवा लेखन है जी? कोनो वसंत पर लिखता ही नहीं है!’ सीतामढ़ी के सनातन धर्म पुस्तकालय के पुराने मेंबर सुशील बाबू ने जब फोन पर पूछा तो अचानक कोई जवाब ही नहीं सूझा. …
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