पिछले दिनों एक ओटीटी मंच पर विमलचंद्र पाण्डेय की फ़िल्म ‘द होली फ़िश’ रिलीज़ हुई, जिसका पता इस लेख में दिया गया है। उसी फ़िल्म पर युवा लेखक जितेंद्र विसारिया ने एक विस्तृत लेख लिखा है। आप भी पढ़ सकते है – ======================== 2004 में वागर्थ का अक्टूबर में नवलेखन …
Read More »सोचा ज़्यादा किया कम उर्फ एक गँजेड़ी का आत्मालाप
विमल चन्द्र पाण्डेय की की लम्बी कविता. लम्बी कविता का नैरेटिव साध पाना आसान नहीं होता. स्ट्रीम ऑफ़ कन्सशनेस की तीव्रता का थामे हुए कविता के माध्यम से एक दौर की टूटन को बयान कर पाना आसान नहीं होता. बहुत दिनों बाद मैंने एक ऐसी लम्बी कविता पढ़ी जिसके आत्मालाप में …
Read More »