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Tag Archives: vineet kumar

साहित्य को श्रद्धा नहीं उसमें निहित सामाजिक प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण बनाती है

दिनेश्वर प्रसाद का निधन हो गया. वे हिंदी के एक प्राध्यापक थे, लेकिन मठाधीश नहीं. साहित्यसेवी थे. रांची में रहते थे. बरसों से फादर कामिल बुल्के के कोश को अपडेट करते रहते थे. उनको याद करते हुए विनीत कुमार ने बहुत आत्मीय ढंग से लिखा है- जानकी पुल.—————————————————- पटना से …

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तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते फेसबुक?

युवा शोधार्थी, मीडिया विशेषज्ञ विनीत कुमार ने यह कविता लिखी. पढ़ा तो आपसे साझा करने का मन हुआ. प्रस्तुत है उनकी ही भूमिका के साथ- जानकी पुल. आदिकाल के रासो काव्य से लेकर नई कविता वाया छायावाद/प्रगतिवाद होते हुए हिन्दी का कोई छात्र इस तरह की लाइनें लिखेगा, संभव हैं इसे …

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यह भरोसा दरअसल वर्जिनिया पर था

जाने-माने ब्लॉगर विनीत कुमार इन दिनों कवियाये हुए हैं, उनके विद्रोही लैपटॉप से इन दिनों कोमल-कोमल कविताएँ प्रकट हो रही हैं. जानकी पुल गर्व के साथ उनकी पहली दो कविताओं को प्रस्तुत कर रहा है, इस उम्मीद के साथ कि आगे भी उनकी काव्यात्मकता बनी रहेगी. गंभीरता के विरुद्ध.. तुम …

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