इस बार पुस्तक मेले में चार दिन जाना हुआ. पहले सोचा था नहीं जाऊँगा. लेकिन एक बार जाइए तो बार-बार जाने का मन करता है. एक साथ इतने बड़े लेखकों से मुलाकात, बातें, बतकही- अच्छा लगने लगता है. आज लिख रहा हूँ तो सबकी याद आ रही है. अच्छा मौका …
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