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‘अमेठी संग्राम’ के बहाने अनंत विजय से संवाद

अनंत विजय की पुस्तक ‘अमेठी संग्राम’ एक साल की हो गई। इस दौरान वेस्टलैंड से प्रकाशित यह किताब अंग्रेज़ी में भी आई। साल भर वाद-विवाद में बनी रही। प्रस्तुत है इसी किताब पर उनसे बातचीत का एक अंश- ================== 1अमेठी संग्राम के प्रकाशन का एक साल हो गया। इस दौरान …

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आयो गोरखाली और गोरखाओं का इतिहास

गोरखाओं के इतिहास पर एक किताब आई है ‘आयो गोरखाली – अ हिस्ट्री ऑफ द गुरखा’स’, जिसके लेखक हैं टिम आई. गुरुंग. वेस्टलैंड से आई इस पुस्तक पर आज कलिंगा लिटेररी फ़ेस्टिवल के भाव संवाद में लेखक से बातचीत करेंगे नेपाल मामलों के विशेषज्ञ अतुल कुमार ठाकुर। फ़िलहाल आप किताब …

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संजीव पालीवाल के उपन्यास ‘नैना’ के बनने की कहानी

संजीव पालीवाल के उपन्यास ‘नैना’ की चर्चा लगातार बढ़ती जा रही है। वेस्टलैंड से प्रकाशित इस उपन्यास के बनने की कहानी पढ़िए- ============ इस उपन्यास का आपके हाथ में होना मेरे लिये एक सपने के पूरा होने के बराबर है। ये मेरी पिछले 25 साल की ख्वाहिश थी। ना जाने …

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बेगानों को अपना बनाने वाली किताब ‘न बैरी न कोई बेगाना’

‘न बैरी न कोई बेगाना’– 390 पेज की यह किताब आत्मकथा है जासूसी उपन्यास धारा के सबसे प्रसिद्ध समकालीन लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा का नाम है. इसको पढ़ते हुए दुनिया के महानतम नहीं तो महान लेखकों में एक गैब्रिएल गार्सिया मार्केज की यह बात याद आती रही- जिन्दगी …

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सुरेन्द्र मोहन पाठक और ‘न बैरी न कोई बेगाना’

हिंदी क्राइम फिक्शन के बेताज बादशाह सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा ‘न बैरी न कोई बेगाना’ का लोकार्पण जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हुआ. इसका प्रकाशन वेस्टलैंड ने किया है. अब पाठक जी के पाठकों के लिए ख़ुशी की बात यह है कि 16 फ़रवरी से यह आत्मकथा पाठक जी के …

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निखिल सचान के उपन्यास ‘यूपी 65’ का एक अंश

हिन्द युग्म ने नई वाली हिंदी के नारे के साथ टेक्नो लेखकों(इंजीनियरिंग-मैनेजमेंट की पृष्ठभूमि के हिंदी लेखक) की एक नई खेप हिंदी को दी. जिसके सबसे पहले पोस्टर बॉय निखिल सचान थे. उनकी किताब ‘नमक स्वादानुसार’ की 3-4 साल पहले अच्छी चर्चा हुई थी. हालाँकि उनकी दूसरी किताब का नाम …

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मेरी उँगलियों को जुगनू पहनने पड़ते हैं: मीनाक्षी ठाकुर की कविताएँ

मीनाक्षी ठाकुर की कविताओं में जीवन के एकांत हैं, छोटे-छोटे अनुभव हैं और आकुल इच्छाएं. सार्वजनिक के निजी वृत्तान्त की तरह भी इन कविताओं को पढ़ा जा सकता है, ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ ‘ह्रदय की बात’ की तरह- जानकी पुल. =============================== इन दिनों इन दिनों इतना आसान नहीं अँधेरे में …

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