अनंत विजय की किताब ‘अमेठी संग्राम’ जब से आई है लगातार चर्चा में है। अभी हाल में इसका अंग्रेज़ी अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। इस किताब की विस्तृत समीक्षा लिखी है राजीव कुमार ने- ======================== ऐसे में जब राजनीतिक परिदृश्य उसके उथल पुथल और महती परिणामों पर गंभीर बातें करना …
Read More »जासूसीपन, थ्रिलरपन और रहस्यपन का रोचक कथानक ‘नैना’
संजीव पालीवाल के उपन्यास ‘नैना’ पर टिप्प्पणी जानी-मानी लेखिका नीलिमा चौहान ने लिखी है। एक रोचक और बेहद पठनीय उपन्यास की बहुत रोचक, पठनीय और विचारोत्तेजक समीक्षा। आप भी पढ़ सकते हैं- ======================================= हाल के वर्षों में उपन्यास विधा के साथ दो सुंदर हादसे हुए हैं। एक तो यह कि …
Read More »हिंदी में मोटिवेशनल किताबों के अभाव को दूर करने वाली पुस्तक
जब से यूपीएससी के रिज़ल्ट आए हैं इस बात को लेकर बड़ी चर्चा है कि हिंदी मीडियम के प्रतिभागियों का चयन कम होता जा रहा है। मुझे निशांत जैन की याद आई। उनकी किताब ‘रुक जाना नहीं’ की याद आई। निशांत जैन आईएएस हैं लेकिन उससे बड़ी बात है कि …
Read More »ध्यान का एक प्रकार है हार्टफुलनेस
आजकल आध्यात्म से जुड़ी किताबें खूब छप रही हैं. वेस्टलैंड ने कुछ दिन पहले ही श्री श्री रविशंकर की जीवनी प्रकाशित की थी जिसकी लेखिका उनकी बहन हैं. अब ध्यान पर आधारत एक किताब वेस्टलैंड से ही आई है ‘द हार्टफुलनेस वे’. लेखक हैं कमलेश डी. पटेल और जोशुआ पोलॉक. …
Read More »श्री श्री रविशंकर की पहली आधिकारिक जीवनी वेस्टलैंड से प्रकाशित
वेस्टलैंड बुक्स से श्री श्री रविशंकर की आधिकारिक जीवनी ‘गुरुदेव शिखर पर अचल’ का प्रकाशन हुआ है. इसे लिखा है उनकी बहन भानुमति नरसिम्हन ने- मॉडरेटर ========================= श्री श्री रविशंकर की बहन भानुमति नरसिम्हन ने गुरुदेव: शिखर के शीर्ष पर शीर्षक से श्री श्री रविशंकर की जीवनी का लोकार्पण किया. आर्ट ऑफ़ लिविंग के आध्यात्मिकगुरु और संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की ये सबसे पहली आधिकारिक जीवनी है| इस पुस्तक में उनके बचपन से लेकर बड़े होने तक की यात्रा पर प्रकाश डाला गया है, एक बेफ़िक्र बालक से युवावस्था में साधुओं की संगति में रहने वाले युवकतक, एक युवा ध्यान शिक्षक से परमपूज्य आध्यात्मिक गुरु तक| ये उस जीवन के विषय में है जिसने मानवीय प्रयासों के प्रत्येक क्षेत्र में एक गहन बदलाव किया–कला से संरचना तक, स्वास्थ्य सेवा से पुनरोद्धार तक, आत्म-शांतिसे बाह्य उत्साह तक| भानुमति कहती हैं,”गुरुदेव खुली किताब के समान हैं और हालांकि लोग उन्हें जानते हैं पर दरअसल कोई वास्तविक रूप से उन्हें नहीं जानता |जब मैंने येपुस्तक लिखनी शुरू की, मैंने इस बात का ख्याल रखा कि ये नए पाठकों के लिए उपयुक्त हो| किताब लिखने का मेरा उद्देश्य सिर्फ अपने पाठकों को ख़ुश करना होता है| मुझे आशा है कि ये पुस्तक पाठकों के जीवन को समृद्ध बनाने में सहायक होगी|” इस पुस्तक को लिखने के अलावा गुरुदेव की छोटी बहन होने के नाते भानुमति नरसिम्हा उत्थान संबंधी कई प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व भी करती हैं, जिसमें आर्ट ऑफ़लिविंग का स्कूल संबंधी प्रोजेक्ट भी शामिल है| इसके अंतर्गत देश के दूर-दराज़ के क्षेत्रों में क़रीब पचास हज़ार विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है|आप विश्व में हर धर्म और राष्ट्र के लोगों को ध्यान सिखाने के लिए यात्राएं भी करती हैं| भानुमति नरसिम्हन के विषय में: भानुमति नरसिम्हन …
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