आज ज़हीर रह्मती की ग़ज़लें. वे नए दौर के संजीदा शायर हैं. ‘कुछ गमे-जानां, कुछ गमे दौरां’ के शायर. अपने समय की विडंबनाएं भी उनके शेरों में हैं तो जीवन की दुश्वारियां भी- जानकी पुल. 1. इशारे मुद्दतों से कर रहा है अभी तक साफ़ कहते डर रहा है. ज़माने …
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