जयपुर से प्रेमचंद गाँधी के संपादन में ‘कुरजां’ नामक पत्रिका का प्रवेशांक आया है. ये शताब्दी स्मरण अंक है और इसमें हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती, तेलुगू साहित्य की विराट परंपरा को आगे बढ़ाने वाले महानायकों को नमन करते हुए न केवल इन भाषाओं के मनीषी साहित्यकारों की रचनाएं जुटायी गयी …
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