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Tag Archives: yatish kumar

‘वर्षावास’ की काव्यात्मक समीक्षा

‘वर्षावास‘ अविनाश मिश्र का नवीनतम उपन्यास है । नवीनतम कहते हुए प्रकाशन वर्ष का ही ध्यान रहता है (2022 ई.) लेकिन साथ ही तुरंत उपन्यास के शिल्प पर ध्यान चला जाता है जो अपने आप में बिल्कुल ही नया है । अब तक हिंदी उपन्यासों में डायरी (नदी के द्वीप), पत्र …

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‘बोरसी भर आँच’ की उष्मा

आज पढ़िए यतीश कुमार की मार्मिक संस्मरण पुस्तक ‘बोरसी भर आँच’ की यह समीक्षा जिसे लिखा है कवि-तकनीकविद सुनील कुमार शर्मा ने। यह पुस्तक राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित है- ============================  कवि-कथाकार यतीश कुमार की सद्य प्रकाशित संस्मरण की किताब ‘बोरसी भर आँच’ पढ़ते हुए बशीर बद्र साहब का यह मानीखेज …

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यतीश कुमार की पुस्तक ‘बोरसी भर आँच’ का एक अंश

कवि-लेखक यतीश कुमार की किताब आई ‘बोरसी भर आँच: अतीत का सैरबीन’। संस्मरण विधा की यह पुस्तक राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। उसी पुस्तक से एक अंश पढ़िए- ========================== मन के भीतर मस्तिष्क है या मस्तिष्क के भीतर मन यह तो पता नहीं;पर मस्तिष्क के भीतर शिराओं में जो …

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‘बेहयाई के बहत्तर दिन’ और यतीश कुमार

बरसों पहले प्रमोद सिंह की एक किताब आई थी ‘अजाने मेलों में’। उनकी भाषा, उनकी शैली ने सबको प्रभावित किया था। अब उनकी किताब आई है ‘बेहयाई के बहत्तर दिन’। हिन्द युग्म से प्रकाशित इस किताब पर कवि-लेखक यतीश कुमार की समीक्षा पढ़िए- ============================================ लेखक की कलम पहले ही पन्ने में …

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श्रमसाध्य शोधपरक विश्लेषण और पुनर्पाठ का ठाठ

मेरी अपनी नज़र में हितेन्द्र पटेल की किताब ‘आधुनिक भारत का ऐतिहासिक यथार्थ’ पिछले एक दशक में प्रकाशित हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ आलोचना पुस्तक है। यह अतिशयोक्ति लग सकती है लेकिन हिन्दी उपन्यासों के माध्यम से उस ऐतिहासिक परिदृश्य का खाका तैयार करना बहुत मेहनत की माँग करता है और स्पष्ट …

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संजीव के उपन्यास ‘जंगल जहाँ शुरू होता है’ पर यतीश कुमार की काव्यात्मक टिप्पणी

यतीश कुमार ने काव्यात्मक समीक्षा की अपनी विशिष्ट शैली विकसित की। उसी शैली में उन्होंने संजीव के उपन्यास ‘जंगल जहाँ शुरू होता है’ पर यह ख़ास टिप्पणी लिखी है। आप भी पढ़िए- ==================== 1. संवलाया-सा समय खिलती हुई शाम अन्हरिया में फुदकता मन सपनों को छूने के न जाने कितने …

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आउशवित्ज़- एक प्रेम कथा: प्रेम कथाओं की धारा

गरिमा श्रीवास्तव के चर्चित उपन्यास ‘आउशवित्ज़- एक प्रेम कथा‘ पर पढ़िए कवि-समीक्षक यतीश कुमार की यह विस्तृत टिप्पणी। युद्ध के इस दौर में प्रेम के आख्यान पर यतीश कुमार ने खूब लिखा है। उपन्यास का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हुआ है- ================== दूसरों को सँभालने से मुश्किल होता है ख़ुद …

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धीरेंद्र अस्थाना की आत्मकथा पर यतीश कुमार की टिप्पणी

प्रसिद्ध लेखक धीरेंद्र अस्थाना की आत्मकथा को आए कई साल हुए लेकिन अभी उसकी चर्चा मंद नहीं पड़ी है। आज कवि-समीक्षक यतीश कुमार ने राजकमल से प्रकाशित उनकी आत्मकथा ‘ज़िंदगी का क्या किया’ पर यह टिप्पणी लिखी है। और हाँ, यतीश कुमार काव्यात्मक समीक्षाएँ ही नहीं गद्य भी अच्छा लिखते …

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यह किताब तो अहसासों का गुलदस्ता है

देवी प्रसाद मिश्र की पुस्तक ‘मनुष्य होने के संस्मरण’ पर कवि यतीश कुमार की यह टिप्पणी पढ़िए. यह पुस्तक राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है- जानकी पुल ================================ दोहे और मुहावरों को अमरत्व प्राप्त है और अगर कहानियाँ इस ओर मुखर होकर अमरत्व चख लें तो मुहावरों में बदल जाते हैं। …

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शब्दों के बीच दालचीनी की ख़ुशबू बिखरी है!

आज पढ़िए चर्चित युवा कवयित्री अनामिका अनु के कविता संग्रह ‘इंजीकरी’ पर यतीश कुमार की यह टिप्पणी। और हां, इस बार अर्से बाद उन्होंने पद्य में नहीं गद्य में लिखा है- =================== कुछ रचनाएँ ऐसी होती हैं जो विषय विविधता के साथ शब्दों की कोमलता व अर्थ का विराट और …

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