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तेरे मेरे इश्क़ की वही पुरानी कहानी नहीं है ‘बाजीराव मस्तानी’ और ‘तमाशा’

ज्योति नंदा ने पिछले साल के आखिर में आई दो फिल्मों पर एक पठनीय लेख लिखा है- मॉडरेटर  ============================================================== “बाजीराव मस्तानी” दर्शन से पहले “तमाशा” देखी थी। “तमाशा” देखने के बाद इतना कुछ कहने को मन हुआ कि शब्दों की तरतीब ही न बन सकी, सो कुछ नहीं कहा। कभी किसी फिल्म; किसी …

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पंकज चतुर्वेदी की 15 कविताएं

अपनी पीढ़ी के जिन कवियों के मैं खुद को निकट पाता रहा हूँ पंकज चतुर्वेदी उनमें सबसे प्रमुख हैं. शोर-शराबे से दूर उनकी कविता में हमारे समय की बहुत सारी अनुगूंजें सुनाई देती है. स्पष्ट वैचारिकता के साथ सघन कविताई का ऐसा ताना-बाना आजकल की कविताओं में वायरल होता जा …

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बाबुषा की कविताएं

इस साल बाबुषा के कविता संग्रह ‘प्रेम गिलहरी दिल अखरोट’ ने सबका ध्यान खींचा. इस साल की अंतिम कविताएं बाबुषा की. जानकी पुल के पाठकों के लिए ख़ास तौर पर। 1. भाषा में विष जिन की भाषा में विष था उनके भीतर कितना दुःख था दुखों के पीछे अपेक्षाएँ थीं …

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वे भाषा की भूलों को कभी नहीं भूलते थे

पंकज सिंह- पहली बार मदन मोहन झा सर ने उनका नाम लिया था. कहा था कि बहुत बड़े कवि हैं. वे राजनीति शास्त्र पढ़ाते थे. सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में. मिलना बहुत बाद में हुआ जड़ दिल्ली विश्वविद्यालय में पढता था तब. उनके बारे में किस्से सुनता रहता था. 90 …

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प्रेम बिना हिंदी सूना

कल प्रभात खबर में मेरी एक छोटी-सी टिप्पणी आई थी. पढ़कर बताइयेगा- प्रभात रंजन  ======================================================= आज ही एक अखबार के लिए साल भर की किताबों का लेखा-जोखा लिख रहे मित्र ने फोन पर पूछा कि इस साल कोई बढ़िया प्रेम-उपन्यास आया है? ‘हाँ, ओरहान पामुक का उपन्यास ‘ए स्ट्रेंजनेस इन …

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जिनको दुनिया की सबसे सुन्दर अभिनेत्री माना गया था

आज गुजरे जमाने की महान अदाकारा नलिनी जयवंत की पुण्यतिथि है. उनके अभिनय, उनके मकाम को बड़े प्यार से याद किया है सैयद. एस. तौहीद ने- मॉडरेटर  =============================================== गुजरे जमाने की बहुत सी बेहतरीन फिल्मों का स्मरण दरअसल अभिनेत्री नलिनी जयवंत का स्मरण भी है। राज खोसला की ‘कालापानी’ के …

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भिखारी ठाकुर की जयंती और स्त्री मन से मेल-मिलाप की बात

आज भिखारी ठाकुर का जन्मदिन है. इस मौके पर उनकी कला, उनके सरकारों को याद करते हुए, अपने अनुभवों को बुनते हुए युवा लोकगायिका चन्दन तिवारी ने एक बहुत अच्छा लेख लिखा है. इससे उनके अपने सरोकारों का भी पता चलता है- मॉडरेटर  ==========================   चंदन तिवारी जाना तीन को था. …

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अनुवादक का कोई चेहरा नहीं

हिंदी में अनुवाद और अनुवादक की स्थिति पर यह एक छोटा-सा लेख आज ‘प्रभात खबर’ में आया है- प्रभात रंजन  ========= अनुवाद तो बिकता है अनुवादक का कोई चेहरा नहीं होता- एक पुराने अनुवादक के इस दर्द को समझना आसान नहीं है. यह सच्चाई है कि हिंदी में चाहे साहित्य …

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राबर्ट ब्रेसां का मर्मस्पर्शी सिनेमा

उर्दू के उस्ताद लेखक कृशन चंदर ने एक उपन्यास लिखा था ‘एक गधे की आत्मकथा’. मशहूर फ्रेंच फिल्मकार रॉबर्ट ब्रेसां ने गधे को लेकर एक मर्मस्पर्शी फिल्म बनाई थी ‘Au Hasard Balthazar’. इसी फिल्म पर सैयद एस. तौहीद का यह पठनीय लेख- मॉडरेटर  ======================================== +++++++++++++ फिल्मकार रॉबर्ट ब्रेसां को सिनेमा का संत कहा जाना …

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स्मिता पारिख की नज्में

हिंदी में नज्में कम लिखी जाती हैं. अहसास की शिद्दत कविताओं में कम दिखाई देती है. कुछ बने-बनाए सांचे हैं, कविताओं के, विचार के ढांचे हैं, जिनमें रूह की सच्ची आवाज दब जाती है. कल पटना पुसक मेले में स्मिता पारिख के नज्मों के संग्रह ‘नज्में इंतज़ार की’ का लोकार्पण …

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