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अपुन का मंटो: पाकदिल, सियाहक़लम, अपूर्व, अप्रतिम, अखंड

रविकांत मूलतः इतिहासकार हैं लेकिन साहित्य की गहरी समझ रखते हैं. मंटो की जन्मशताब्दी के अवसर पर उनका एक यादगार लेख आपके लिए- जानकी पुल. ========================================= मंटो ने रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए कला की कोई भी दिशा चुनी हो, हंगामा किसी न किसी तरह अवश्य हुआ।                                                                          – –बलराज मेनरा व …

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मैं अफ़साना क्यों कर लिखता हूँ- मंटो

आज सआदत हसन मंटो की जन्मशताब्दी है. आज उनका यह लेख पढते हैं- जानकी पुल. ————————————————————————————————————— मुझसे कहा गया है कि मैं यह बताऊँ कि मैं अफ़साना क्यों कर लिखता हूँ? यह ‘क्यों कर‘ मेरी समझ में नहीं आया। ‘क्यों कर‘ का अर्थ शब्दकोश में तो यह मिलता है – …

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मण्टो की तलाश लुप्त होती इन्सानियत की तलाश है

कल सआदत हसन मंटो की सौवीं जयंती है. उर्दू के एक ऐसे कथाकार की जिसने कहानियों का मिजाज बदलकर रख दिया. उनकी कहानियों पर बहुत गंभीर विश्लेषणपरक लेख लिखा है प्रसिद्ध  कवि-अनुवादक नीलाभ ने. आपसे साझा कर रहा हूं- जानकी पुल.  ———————————————————————– ‘एक ख़त’ से ले कर ‘दो गड्ढे’ तक …

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