विमल कुमार ने यह कविता कुछ दिनों पहले प्रकाशित प्रीति चौधरी की कविता के प्रतिवाद में लिखी है. एक कवि अपना मतान्तर कविता के माध्यम से प्रकट कर रहा है. स्त्री-विमर्श से कुछ उदारता बरतने का आग्रह करती यह कविता पढ़ने के काबिल तो है, जरूरी नहीं है कि आप …
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