वे यश के लिय नहीं लिखती हैं, न ही आलोचकों के सर्टिफिकेट के लिए, न किसी पुरस्कार के लिए। साहित्य को स्वांतः सुखाय भी तो कहा जाता है। विमला तिवारी ‘विभोर’ के कविता संग्रह ‘जीवन जैसा मैंने देखा’ की कवितायें पढ़कर यह महसूस होता रहा साहित्य को क्यों साधना कहा …
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