Home / ब्लॉग (page 59)

ब्लॉग

लेखक को बेस्टसेलर की अभिलाषा से मुक्त होना चाहिये

हमारी कोशिश है कि हिन्दी में बेस्टसेलर को लेकर हर तरह के विचार सामने आएं। पहले के दो लेखों में यथार्थवादी बातें आई आज कुछ आदर्श की बातें कर लें। हिन्दी में नए ढंग के लेखन की शुरुआत करने वाले प्रचण्ड प्रवीर ने बेस्टसेलर को लेकर दो-टूक बातें की हैं, …

Read More »

क्या हिंदी में बेस्टसेलर हैं ही नहीं?

हिन्दी में बेस्टसेलर को लेकर ‘हिन्दी युग्म’ की तरफ से पुस्तक मेले में 20 फरवरी को परिचर्चा का आयोजन किया गया था। उसमें लेखिका अनु सिंह चौधरी भी वक्ता थी। आज उन्होने परिचर्चा के दौरान बहस में आए मुखी बिन्दुओं की चर्चा करते हुए लोकप्रिय-बेस्टसेलर को लेकर एक सुचिंतित लेख लिखा …

Read More »

बच्चों के लिए लिखना रचनात्मक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण कार्य है।

इस बार विश्व पुस्तक मेला का थीम बाल साहित्य है। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि हम हिन्दी वाले बाल साहित्य को गंभीरता से नहीं लेते। अभी कल जब मैंने शिक्षाविद मनोज कुमार का बाल साहित्य लेखन पर यह लेख पढ़ा तो मन में यह संकल्प लिया कि बाल साहित्य लिखने …

Read More »

बुलेट की अराजकता में एक लय है

बचपन से बुलेट मोटरसाइकिल की ऐसी छवि दिमाग में बनी कि बुलेट का नाम आते ही सिहरन सी होने लगती थी. सीतामढ़ी के एकछत्र बादशाह नवाब सिंह की बुलेट जब शहर में दहाड़ती हुई निकलती तो लोग पीछे घूम घूम कर खड़े होने लगते थे या टाउन थाना के दरोगा …

Read More »

‘हमलोग’ उपन्यास के रूप में आ रहा है

‘हमलोग’ अब उपन्यास के रूप में सामने आ रहा है। उसके एपिसोड्स तो ऑनलाइन भी नहीं मिलते। जानकार सचमुच रोमांच हुआ। दूरदर्शन का पहला धारावाहिक, जिसकी लोकप्रियता ने 1984-85 में टीवी को घर-घर पहुंचाने में बड़ा योगदान किया। यह भी उस दौर में अलग-अलग स्कूलों के अलग-अलग क्लासों में पढ़ने …

Read More »

शिरीष कुमार मौर्य की कविताएं

हिन्दी के समकालीन कवियों में कुछ कवि ऐसे हैं जिनकी कविताओं में मैं अपनी आवाज पाता हूँ। कई बार सोचता हूँ काश ऐसी कवितायें मैंने लिखी होती। हालांकि मैं कवि नहीं हूँ, लेकिन कई बार अपने इन प्रिय कवियों की तरह कवितायें लिखने की कोशिश करता हूँ। उन कवियों में …

Read More »

किताबें, किताबों की दुनिया, किताबों का मेला

आज विश्व पुस्तक मेले की शुरुआत हो रही है। इस मौके पर किताबों के आकर्षण, उसकी दुनिया, कनवरजेंस के दौर में किताबों के महत्व को लेकर प्रचंड प्रवीर ने एक बहुत अच्छा लेख लिखा है, खास आपके लिए।  ============ आज से करीब ढाई हज़ार साल पहले सुकरात ने लिखने के बारे …

Read More »

यह चुपचाप चलता हुआ षडयंत्र है

तुषार धवल मेरे समकालीन कवि हैं, ऐसे समकालीन जिनकी तरह आरंभ में मैं लिखने की कोशिश करता था- कविताएं। इधर कुछ अरसे से मैंने उनकी कविताएं पढ़ी नहीं। कई बार कुछ रचनाकारों की बेहतर समझ बनाने के लिए उनकी रचनाओं से दूर जाना भी जरूरी होता है। अरसे बाद जब …

Read More »

नहीं बनी कोई कविता आज सुबह की यंत्रणा के बाद

आज पंखुरी सिन्हा की कविताएं। पंखुरी की पहचान एक कथाकार की रही है। लेकिन हाल के वर्षों में उन्होने कविता को अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में चुना है। उनकी कुछ चुनिन्दा कविताएं उनके सार्थक वक्तव्य के साथ- जानकी पुल ============================= “लीडर कलक्टर साथ ही खाते पराठा गोश्त है मैं हाई …

Read More »

चौरी चौरा का विद्रोह और स्वाधीनता आंदोलन

चौरी चौरा का महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के संदर्भ में बहुत महत्व है। इस घटना के आधार पर लोगों की स्मृतियों के आधार पर प्रसिद्ध इतिहासकर शाहिद अमीन ने ‘event metaphor memory’ नामक पुस्तक लिखी थी। अभी हाल में ही हिन्दी लेखक सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने किस्से-कहानियों के माध्यम …

Read More »