राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित सुभाष चंद्र कुशवाहा की किताब ‘अवध का किसान विद्रोह’ पर यह टिप्पणी प्रवीण झा ने लिखी है। प्रवीण झा की पुस्तक ‘कूली लाइंस’ आजकल ख़ासी चर्चा में है- मॉडरेटर ======================= राष्ट्रवाद और सामंतवाद के मध्य पिसता किसान। सुभाष चंद्र कुशवाहा जी की पुस्तक ‘अवध का किसान …
Read More »‘अवध का किसान विद्रोह’ पुस्तक का एक अंश
भारतीय इतिहासकारों ने पोपुलर इतिहास लेखन को हमेशा खारिज किया. अगर काम हिंदी में हुआ हो तो उसे देखने काबिल भी नहीं समझा. सुभाष चन्द्र कुशवाहा की किताब ‘अवध का किसान विद्रोह’ उस विद्रोह को विस्तार से समझाती है जिसके बारे में मॉडर्न इण्डिया की किताबों में पढ़ा था. बाबा …
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