रंजन ऋतुराज ‘दालान’ पर पुराने दिनों के किस्से लिखते हैं. अब उन्होंने गर्मी का यह किस्सा लगा कि अपनी गर्मियों के दिन याद आ गए. वह एक दौर था जो बीत चुका है. उस बीते दौर की बड़ी अच्छी बानगी इस छोटे से लेख में मिलती है- मॉडरेटर ======== इस …
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