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Tag Archives: shobha jain

गद्य की गहन ऐंद्रिकता में किसी इंटीमेट पेंटिंग की तरह डूबी कृति

इस साल जिस उपन्यास ने अपनी भाषा, अपनी कहन से मुझे बेहद प्रभावित किया वह सारंग उपाध्याय का उपन्यास ‘सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी’ है। क्यों प्रभावित किया डॉ शोभा जैन ने अपनी समीक्षा में तक़रीबन वही बातें लिखी हैं जो मैं सोच रहा था। आपने उपन्यास न पढ़ा हो …

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