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Tag Archives: vani prakashan

‘पतनशील पत्नियों के नोट्स’ और होली का त्यौहार

पिछले दिनों वाणी प्रकाशन से एक किताब आई ‘पतनशील पत्नियों के नोट्स’. नीलिमा चौहान की इस किताब ने जैसे हिंदी साहित्य की तथाकथित मर्यादा की परम्परा से होली ही खेल दी, स्त्रीवादी लेखन को उसकी सर्वोच्च ऊंचाई पर ले जाने वाली इस किताब में दो प्रसंग होली से भी जुड़े …

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चित्रकथा में हिरोशिमा की त्रासदी

इधर एक मार्मिक चित्रकथा पढने को मिली. मार्मिक इसलिए क्योंकि आम तौर पर चित्रकथाओं में मनोरंजक कथाएं, महापुरुषों की जीवनियाँ आदि ही पढ़ते आये हैं. लेकिन यह एक ऐसी चित्रकथा है जो इतिहास की एक बहुत बड़ी त्रासदी की याद दिलाती है और फिर उदास कर देती है. ‘नीरव संध्या …

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मुझे दो मेरी ही उम्र का एक दुःख

आज दोपहर २.३० बजे इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में तस्लीमा नसरीन की सौ कविताओं के संचयन ‘मुझे देना और प्रेम’ का लोकार्पण है. वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक की कविताओं का अनुवाद किया है हिंदी के प्रसिद्ध कवि प्रयाग शुक्ल ने. उसी संचयन से दो कविताएँ- जानकी पुल. ————————————————- तुम्हें दुःख देना …

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