जय नारायण बुधवार को बरसों से हम ‘कल के लिए’ पत्रिका के संपादक के तौर पर जानते रहे हैं. वे बहुत अच्छी क्लासिकी अंदाज़ की ग़ज़लें लिखते हैं. आज उनकी चुनिन्दा ग़ज़लें- मॉडरेटर ====================== 1. कुँआ ये प्यार का प्यासा बहुत है सम्हलना,देखकर,गहरा बहुत है। मेरे दिल पर न कोई …
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