मेरे हमनाम हैं प्रभात रंजन. कल उन्होंने ‘तहलका’ में लिखी शुभम उपाध्याय की लिखी हैदर फिल्म की समीक्षा साझा की. लिखने का अंदाज अच्छा लगा तो साझा कर रहा हूँ- प्रभात रंजन =========================================================== ‘हैदर’ गोल-गोल कंटीली बाड़ों से हर तरफ लिपटा हुआ एक इंद्रधनुष है. वे कंटीले तार जो उन शहरों …
Read More »