सीरज सक्सेना जाने माने युवा चित्रकार हैं, सिरैमिक के कलाकार हैं। हमें हाल में ही पता चला वे कविताएं भी लिखते हैं। उनकी कुछ कविताएं आज खास आपके लिए- मॉडरेटर
=========================================
शून्य का श्रंगार
-1
–
चुप है
रेल की पटरियाँ
एक दूसरे के
बेहद पास
देह की गंध
बांधे है
उन्हें
सख्त है
तुम्हारी
पदचाप
मधुर
एक लय में
ये आलिंगन का स्वर
प्रेम का किनारा तुम्हारे भीतर
डोलता है
पटरियों के ऊपर बने सेतु पर
चलते हम
सांझ की
यह ध्वनि
अब रात में
बदलती है।
२–
तुम्हारे कहे
वाक्यों के बीच
ठहरता है
एक अदृश्य
पूर्णविराम
एक ध्वनि में
स्वप्न में डूबी
मेरी
सुन्न उँगलियाँ
हवा में बहते
इस पूर्णविराम को
पाती हैं
तुम्हारे देश में
३—
कई सदियों में डूबे
तुम्हारे स्पर्श
नम करते हैं
मेरी हथेली
ट्राम से आ रही
खट -खट
हर क्षण
तिरोहित कर रही है
एक एक सदी
तुम्हारा
परिपक्व प्रेम
मेरे साथ
चल रहा है
तुम्हारी बंद आँखे
मेरे वर्तमान में
चुपके से
खुलती हैं
तुम्हारे स्वप्न में
स्पर्श करता हूँ
तुम्हारी
नम
उंगलियां
३—
दैहिक विस्तार और उजास के
किस कोने में है
प्रेम
नहीं
दिखता
हर बार
तुम्हारे
पके
सुनहरे बाल
उसे
ढांक लेते हैं
गुजरा समय
अब भी
तुम्हारे साथ
ठहरा है।
४–
पाठ होता
तो
सीख ही लेता
पर
यह जो
पढ़ा है
तुम्हारे
स्पर्शों से मिले
बीती सदी के
ताप से
विरह से
धुँआ
उठता हैं
जिसकी खुशबू
अभी खिले
फूल से
आ रही हैं।
5
अपनी भाषा में नहीं
कह पाता तुम्हे अपनी बात
bahutbahut aabhaar prabhat ji.pahli baar aapne hi kavitaaen saavajanik ki hain thanx jankipul