भारत में क्रिकेट मैच देखना भी एक अनुभव होता है. अभी हाल में ही दिल्ली में संपन्न हुए एकदिवसीय क्रिकेट मैच को देखने के अनुभवों को लेकर श्रीमन्त जैनेन्द्र ने यह लेख लिखा है. श्रीमंत खुद क्रिकेट खिलाड़ी रह चुके हैं, खेल, समाज और हिंदी साहित्य विषय पर जेएनयू से एम.फिल. किया| आजकल खेल, साहित्य और राजनीति से जुड़े कार्यक्रमों की लाइव रिपोर्ट लिख रहे हैं | जेएनयू चुनाव 2016 वाली रिपोर्टसोशल मीडिया पर खूब शेयर की गयी- मॉडरेटर
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भारत और न्यूजीलैंड के बीच इस साल (2016) की सीरिज भारत के लिहाज से शानदार रही। तीन टेस्ट मैचों की सीरिज में भारत ने न्यूजीलैंड को तीनों टेस्ट में बड़े अंतर से हराया। बहुत दिनों बाद टेस्ट में नंबर एक की रैंकिंग पर पहुंची। पिछली बार कप्तान धोनी थे इस बार कोहली |
टेस्ट की ही तरह एकदिवसीय में भी भारत ने धोनी के नेतृत्व में नेचुरल विजेता के तौर पर शुरुआत की | दूसरा मैच दिल्ली में था। दिल्ली यानि देश की राजधानी। दिल्ली यानि फिरोजशाह कोटला स्टेडियम। यहीं पर कुंबले ने टेस्ट में पाकिस्तान के एक पारी के सारे विकेट चटका दिये थे। वही कुंबले आज भारत के कोच थे।
मैच के दिन मौसम साफ था। धूप तेज थी। हमारा टिकट 10-14 गेट के लिए था। घुसने के लिहाज से यह सबसे हुड़दंगी इलाका है। दलालों का ग्रुप भी इधर ही सबसे ज्यादा होता है क्योंकि इधर एक छोटी बस्ती है। जहां पुलिस को चकमा देने के चांस रहते हैं। पुराने जोश के मारे हमलोग 11.30 तक पहुँच गए | बेतरतीब तरीके से लगे लाइन में लग गये। गेट 12.30 के करीब खुला। मैच शुरू होने का समय 1.30 था। पहले जिस स्टैंड का टिकट होता था उसमें कहीं भी बैठ सकते थे। मामला पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होता था। लेकिन इस बार टिकट पर ही सीट नंबर दे दिया गया था|वैसेहमने आनलाइन आगे का टिकट बुक किया था लेकिन प्रिंट में हमें पीछे का टिकट दे दिया गया। खैर हमने हिम्मत नहीं हारी। अपना असली सीट देख आये लेकिन हिम्मत करके आगे बैठ गये। यहाँ से सब कुछ क्लियर दिख रहा था| सीट पर धूल पड़ी हुई थी। लोगों ने पेटीएम के छक्के और चौके के पोस्टर को सीट कवर बना कर काम चलाया।
लोग अभी कम आये थे। वीआईपी गैलरी के नीचे सचिन का फैन सुधीर तिरंगा लहरा रहा था। एक बजते-बजते स्टेडियम कस गया। लोग बेवजह चिल्ला रहे थे। सीट के लिए मारामारी हो रही थी। हमारी सीट का भी दावेदार आ गया। हमें फिर सीट बदलनी पड़ी। किस्मत से जेडी ने इस बार ऐसी-ऐसी सीट खोजी कि अंत तक उठना नहीं पड़ा।
लोग अभी कम आये थे। वीआईपी गैलरी के नीचे सचिन का फैन सुधीर तिरंगा लहरा रहा था। एक बजते-बजते स्टेडियम कस गया। लोग बेवजह चिल्ला रहे थे। सीट के लिए मारामारी हो रही थी। हमारी सीट का भी दावेदार आ गया। हमें फिर सीट बदलनी पड़ी। किस्मत से जेडी ने इस बार ऐसी-ऐसी सीट खोजी कि अंत तक उठना नहीं पड़ा।
खिलाड़ी मैदान में प्रैक्टिस कर रहे थे। मैदान की घास उसी रंग की थी जिसको बिल्कुल हरा कहा जाता है। डॉक्टर भी आँख के रोगियों को ऐसी ही घास पर चलने की सलाह देते हैं। ये घास नहीं रूई का मैदान था। कूद भी जाओ तो चोट ना लगे।
जल्दी आने का फायदा यही होता है कि आपको एक साथ दोनों टीम के सभी खिलाड़ियों को नजदीक से देखने का मौका मिल जाता है। कोहली बॉलिंग कर रहा था। लोगों ने पहचान लिया। शोर मचा। स्टेडियम में घुसने पर कुछ देर तक खिलाड़ियों को ठीक से पहचानना मुश्किल होता है। सब खिलाड़ी एक जैसे लगते हैं। मेहमान टीम को पहचानना तो और भी कठिन है। बहुत से युवा दर्शकों ने युवराज, कोहली, रैना की टी-शर्ट पहन रखी थी। एक कन्हैया नाम की भी टी- शर्ट पहन कर आया था। हमें तो लगा कि इसकी कोई पिटाई ना कर दे। कुछ तो बाकायदा क्रिकेट की ड्रेस में थे | ऐसा लगता था कि वे सोच कर आये थे कि उनको भी खेलने का मौका मिल सकता है |
खेल शुरू होने से पहले दोनों देश के राष्ट्रगान की धुन प्ले की गयी। दोनों टीम के खिलाड़ी कतार में खड़े थे। पहले न्यूजीलैंड का राष्ट्रगान बजा। कुछ क्षण तक लोगों को समझ नहीं आया। अधिकतर लोग खड़े हुए। सम्मान दिया। लेकिन कुछ लोग हो-हल्ला करते रहे और चिल्लाते रहे। सीट के लिए मारामारी करते रहे। जब भारत की धुन बजी तब भी कुछ लोग मोबाइल पर बात करते रहे। गान खत्म होने से पहले हीचिल्लाने लगे और भारत माता की जय का नारा लगाने लगे।
मैच शुरू होने से लगभग आधे घंटे पहले टॉस हुआ । सिक्का उछाला गया। सिर्फ पिच पर खड़े कुछ लोगों ने देखा कि हेड आया या टेल। धोनी माइक की तरफ बढ़े। पूरा स्टेडियम बौरा गया। लगा इंडिया की बैंटिग आ गयी। शोर इतना होने लगा था कि धोनी ने माइक पर जो बोला उसे स्टेडियम में बैठे लोगों के सिवा पूरी दुनिया ने सुना। धोनी ने बल्लेबाजी पसंद जनता को निराश कर दिया। फील्डिंग का फैसला ले लिया। पूरा स्टेडियम ओहहहहह की लंबी सिसकारी भरता रह गया। उस सिसकारी में धोनी के प्रति नाराजगी थी। आधे से ज्यादा लोग तो सिर्फ इंडिया की बैटिंग देखने आते हैं। अगर इन लोगों को खिलाडियों के साथ एक दो सेल्फी,अच्छा खाना और सोने की जगह दे दी जाए तो ये लोग पूरा मैच भी ना देखें वहीँ कहीं सो जाएँ | खैर ना चाहते हुए भी इंडिया बाँलिग के लिए उतरी। उमेश यादव ने मैच की दूसरी गेंद पर ही मार्टिन गुप्तिल के ऑफ स्टंप में आउट स्विंगर घुसा दिया। दर्शकों को पल भर के लिए अपनी आंखों पर भरोसा भी नहीं हुआ। लोग फिर पगला गये। बैटिंग ना करने का गम भूल गये।
उसके बाद के बल्लेबाजों का धोनी और पांड्या ने कैच टपकाया। दोनों बल्लेबाजों ने इसका फायदा उठाया और 120 रन की साझेदारी कर डाली।
मैदान के उपर चील भारी संख्या में चक्कर लगा रही थी। कुछ अनहोनी जैसा वातावरण बना हुआ था। नीचे न्यूजीलैंड के बल्लेबाज धुलाई कर रहे थे। स्टेडियम में लड़कियों की संख्या भी बेहद कम थी। कैमरामैन परेशान थे। अचानक स्क्रीन पर एक लड़की दूसरी लड़की के कंधे पर सर रखके सोती दिखी। साथ वाली ने जगाकर स्क्रीन दिखाई तो वह शर्मा गयी। चेहरा छुपा लिया।लगता था आफिस बंक करके आयी थी।
कैमरा मैन भी जिद्दी निकला। लगातार फोकस बनाये रखा। दर्शकों ने शोर मचाया। उसने हारकर लाज के घूंघट खोल दिये। बालों को सहलाया, झटके दिए, अदा दिखाई तब जाकर कैमरामैन माना।
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के अंदर एक खास तरीके का प्रोफेशनल अप्रोच होता है। उमेश ने चौका खाया। ओवर खत्म हो गया । धोनी और उमेश अगल-बगल से गुजरे लेकिन धोनी ने कोई सलाह नहीं दी। लोकल क्रिकेट में तो प्रत्येक चौके-छक्के खानेपर गेंदबाज को पूरी टीम समझाती है। बेचारा खुद भरमा जाता है।
लगभग 20 ओवर तक इंडिया विकेट के लिए तरस गयी थी। अबकी बार सफलता दिलाई केदार जाधव ने। उसने लेथम को 46 रन पर पगबाधा आउट किया। कप्तान विलियम्सन का साथ देने रॉस टेलर आये लेकिन वे भी मिश्रा की गेंद पर मिड विकेट पर धरा गये। कप्तान बेफिक्रा होकर गेंदबाजों को धोते रहे। उन्होंने शानदार कवर ड्राइव मारकरशतक पूरा किया। अब स्कोर था 36 ओवर में तीन विकेट पर 180. मैंने अपने दोस्त ओम से कहा कि स्कोर 290 के करीब रहेगा। जेडी ने कहा तीन सौ प्लस।
कैमरा मैन भी जिद्दी निकला। लगातार फोकस बनाये रखा। दर्शकों ने शोर मचाया। उसने हारकर लाज के घूंघट खोल दिये। बालों को सहलाया, झटके दिए, अदा दिखाई तब जाकर कैमरामैन माना।
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के अंदर एक खास तरीके का प्रोफेशनल अप्रोच होता है। उमेश ने चौका खाया। ओवर खत्म हो गया । धोनी और उमेश अगल-बगल से गुजरे लेकिन धोनी ने कोई सलाह नहीं दी। लोकल क्रिकेट में तो प्रत्येक चौके-छक्के खानेपर गेंदबाज को पूरी टीम समझाती है। बेचारा खुद भरमा जाता है।
लगभग 20 ओवर तक इंडिया विकेट के लिए तरस गयी थी। अबकी बार सफलता दिलाई केदार जाधव ने। उसने लेथम को 46 रन पर पगबाधा आउट किया। कप्तान विलियम्सन का साथ देने रॉस टेलर आये लेकिन वे भी मिश्रा की गेंद पर मिड विकेट पर धरा गये। कप्तान बेफिक्रा होकर गेंदबाजों को धोते रहे। उन्होंने शानदार कवर ड्राइव मारकरशतक पूरा किया। अब स्कोर था 36 ओवर में तीन विकेट पर 180. मैंने अपने दोस्त ओम से कहा कि स्कोर 290 के करीब रहेगा। जेडी ने कहा तीन सौ प्लस।
कुछ नये बच्चों का एक ग्रुप बार बार सीट से उठकर चिल्लाने लगता। पीछे वालों को घोर परेशानी होती। मैंने हिम्मत करके कहा कि बैठ जाओ। उसने छूटते ही कहा – भैया हमलोग एन्जॉय करने आये हैं। एन्जॉय पर उसने विशेष जोर दिया। उसका साफ मानना था कि बाकी लोग एवें ही आ गये हैं।
स्टेडियम में एक बड़ा टीवी स्क्रीन लगा था। उस पर मैच कम विज्ञापन ज्यादा दिखाया जा रहा था। प्रायोजक की तरफ से लोगों की सेल्फियाँ दिखायी जा रहीथी। ट्विटर वाले मैसेज दिखाये जातेरहे। आज सहवाग का जन्मदिन था ट्विटर पर उनके लिए बधाई संदेश आया। एक फैन ने धोनी से एक ओवर बॉलिंग का अनुरोध किया। एक दीवाने ने लिखा क्रिकेट मेरा धर्म है और कोहली मेरा भगवान। कुछसालों पहले यही बात सचिन के लिए कही जाती थी| बुमराह एक यार्कर पर एक ट्वीट आया – भाई बुमराह करोगे सबको गुमराह।
मिश्रा ने इस बीच एंडरसन के पैर पर बॉल मारकर एलबीडब्ल्यू ले लिया। मिश्रा को शुरू में मार पड़ गयी थी लेकिन उसने वापसी कर ली। कोटला में एक और मैच देखा था ठीक से याद नहीं उसमें भी उसको मार पड़ी लेकिन बाद में उसने वापसी कर ली। बहुत जबर आदमी बुझाता है।
स्टेडियम में चारों तरफ विज्ञापन की बहार थी। यह स्टेडियम कम विज्ञापन बाजार ज्यादा लग रहा था । साइट स्कीन से लेकर बाउंड्री तक पर विज्ञापन। जिस छोर से बॉलिंग हो रही थी उस तरफ तो साइट स्क्रीन काला होता लेकिन दूसरी छोर के स्क्रीन पर विज्ञापन आ जाता। मैदान की घास पर भी विज्ञापन। जहाँ भी जगह खाली वहां विज्ञापन। यही हाल रहा तो एक दिन विज्ञापन के दौरान क्रिकेट दिखाया जाएगा न कि क्रिकेट के दौरान विज्ञापन।
अब मिश्रा,बुमराह,पांड्या,यादव सबलोग मिलकर स्कोर बोर्ड पर चढ़कर बैठ गये। कप्तान विलियम्सन पर दवाब बन गया। मिश्रा ने बॉल छोटी कर दी और वे लटपटा गये। रहाणे ने लगभग छक्का लगा रहे बॉल को नियंत्रण के साथ सीमा रेखा पर लपक लिया। एक जमाने में न्यूजीलैंड अपने फील्डिंग के लिए जाना जाता था अब तो भारत की फील्डिंग भी टक्कर वाली है। उमेश यादव जैसा तेज गेंदबाज भी ड्राइव मारकर कवर में कैच लपक रहा है। साधु ! साधु! कुंबले और वेंकटेश प्रसाद की फील्डिंगके दिन याद आ गए जबदोनों ड्राइव के नाम पर गिर जाते थे और गेंद नीचे से निकल जाया करती थी |परअब तो भारत बहुत आगे निकल गया हैं फील्डिंग के मामले में |
बहरहाल कप्तान 128 में 118 रन बनाकर पैवेलियन लौटे। अभी भी पारी के 44 गेंद फेंके जाने शेष थे। न्यूजीलैंड के विकेटकीपर रोंची ने कट मारा लेकिन रांची के धोनी ने इस बार गलती नहीं की। साफ साफ धर लिया। अब न्यूजीलैंड फँस गया था। फिर अक्षर पटेल ने बुमराह की गेंद पर युवराज स्टाइल में शार्ट फाइन लेग में ड्राइव लगाकर कैच बनाया। फिर बुमराह ने साउदी को धरतीपकड़ यार्कर से बोल्ड कर दिया। बुमराह ने 24 वें ओवर में भी विलियम्सन को यार्कर मार कर पिच पर ही गिरा दिया। चार नाल चित्त। फिर अगली बॉल भी यार्कर। विलियसन खून का घूँट पी कर रह गया था । गुस्से में बैट को तलवार की तरह चलाकर कट मारने की कोशिश कीपर गेंद धोनी के पास चली गयी थी। विलियम्सन तो तब भी बच गये लेकिन साउदी बच नहीं पाये। जहीर खान के बाद बुमराह भारत का पहला गेंदबाद दिखाई दे रहा है जो दादागिरी के साथ यार्कर मारकर बोल्ड करता है।
बुमराह ने अंतिम ओवर में फिर बोल्ड मारा लेकिन न्यूजीलैंड को ऑल आउट नहीं कर पाये। भारत को जीतने के लिए 243 का स्कोर मिला। अंतिम गेंद पर जाधव को रन आउट करने का मौका मिला लेकिन थ्रो लगा नहीं | पहले पूरी टीम एक जगह इकट्ठा हुई फिर एक साथ पैवेलियन गयी| अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुशासन के लिहाज से कई बार अच्छी चीजों देखने को मिलती है | टीवी परदेख कर कई बार कुछ चीजें हम समझ ही नहीं सकते | टीवी एक बार में एक ही चीज दिखाता है जबकि स्टेडियम में एक साथ कई चीजें चल रही होती है | इस बात में को कहने का मतलब सिर्फ यही घटना नहीं है बल्कि और भी चीज है | कैमरा अपनी सीमा के कारण उन चीजों तक पहुँच ही नहीं पाता|
इस बीच पापा को फोन बजा। उन्होंने पूछा कहां बैठे हो?टीवी पर दिखाई नहीं दिए। देश के लाखों माँ- बाप अपने बच्चों को टीवी पर खेलते देखना चाहते हैं और अंत तक तो एक बार भी टीवी में दिख जाने की चाहत में ही जी रहे होते हैं। संभावनाओं और गुमनामी का मायाजाल होती है खेल की दुनिया। भारत में खेल का मतलब क्रिकेट | बॉल ब्वाय के तौर पर बाउंड्री के पार सेबॉल फेकनेके लिए तैनात बच्चों की आँखों में भी भारत के लिए खेलने का सपना पल रहा था | वो अपने स्टार को नजदीक से निहार रहे थे | कभी सचिन तेंदुलकर भी बचपन में बॉल ब्वाय हुआ करते थे |
लंच ब्रेक हुआ। पूरा स्टेडियम सीढियों के नीचे बने अस्थायी दुकानों पर उमड़ पड़ा। 20 रूपये में एक ग्लास पानी। बोतल खत्म। 150 की बिरयानी वो भी गले में ही फंसे रह जाने लायक मात्रा। 20 वाला चिप्स 40 का। टायलेट में एक साथ 150 आदमी खड़ेथे। एक-एक के पीछे लंबी लाइन।
ब्रेक के दौरान मैदान पर ओस सुखाने के लिए मशीन घुमाया गया | कुछ कर्मचारी मोटी रस्सी भी घसीटते रहे |शाम गहराती गई। कोहरा छाता गया। स्टैंड के चारों और आकाश शून्य हो गया। फ्लड लाइट के रेंज के बाहर एक उजला अंधेरा छाया हुआ था। जन जीवन से शून्य मानो समुद्र का किनारा हो। फ्लड लाइट का उजाला इतना गहरा था कि इस चक्कर में कई पक्षियों का झुण्ड अपना रास्ता भूल गया | उनको अपना रूट बदलना पड़ा |
ब्रेक के बाद भारत की बैटिंग शुरू हुई | ऊपर पक्षी लोगअपना रास्ता खोज रहे थे तो नीचेरोहित शर्मा बहुत दिनों बाद एक बड़ेशतक की तलाश में अम्पायर से गार्ड ले रहे थे | रोहितने पहली बाल डिफेंस कर दी। ब्रेक के दौरान हैदराबादी बिरयानी खाके दर्शक इतने चार्ज हो गये कि इस डिफेंस पर भी पगला उठे मानो छक्का लगा हो।
रहाणे ने दूसरे ओवर में हलकेहाथों से मैदानी स्ट्रेट ड्राइव मारके चौका बनाया। रोहित ने भी पांचवें ओवर में लाफ्ट करके ठीक सीधे छक्का लगाया। दर्शकों को भी रहाणे के चौके और रोहित के छक्के में ही मजा आता है। लेकिन बात ज्यादा देर तक बनी नही। रोहित कीपर के ग्लव्स में समा गए। उनको इस चक्कर में एक रहस्यमयी चोट भी लग गयी और अंत-अंत तक पता ही नहीं चला कि चोट लगी कैसे? खैर,18 नम्बर की जर्सी में कोहली अपने अंदाज में पधारे । कोहली के आते ही सचिन के आने का एहसास हुआ। पूरा स्टेडियम गरमा गया। डे नाइट मैच था। फोन के फ्लैश जल उठे। फ्लैश की रोशनी से लग रहा था जैसे दीपावली के दीप जगमगा रहें हों। अपार स्वागत के बाद भी कोहली अपने फॉर्म में आ नहीं पाए । दिल्ली उनका होम ग्राउंड रहा है और यहां उनका पुराना रिकॉर्ड भी ताली के लायक है। लेकिन इस बार अफसोस जल्दी निपट गए |
उनका स्थान लिया आईपीएल की खोज मनीष पांडे ने। आते ही हमारे उपेक्षित स्टैंण्डकीतरफपुल करके छक्का मारा। बीच बीच में रहाणे की फुलझड़ी चलती रही लेकिन बड़ा बम फोड़ने के चक्कर मे वो भी ठीक हमारे नीचे धरा गये। कैच ठीक से पकड़ा नहीं गया था, इसलिए एक उम्मीद बनी रही बहुत देर तक लेकिन थर्ड अंपायर पंच परमेश्वर की भूमिका में आये तो रहाणे को जाना पड़ा। धोनी के भी आते ही फ्लैश की दीपावली शोर-शराबे के साथ मनाई गयी। तुरही बजाये गये। पानी की खाली बोतल पिटी गयी। भारत अब भी 171 रन दूर था जीत से और तीन महत्वपूर्ण खिलाड़ी पैवेलियन में अपना जूता खोल चुके थे। मनीष पांडे को भी खुजली मची। धोनी के साथ रन भागना इतना आसान कहां? हो गये रन आउट। मन ही मन सोचा ना दौड़ता तो ही अच्छा था। धोनी ठहरा बेपरवाह आदमी। कौन आया? कौन आयेगा? कोई मतलब नहीं। उनको अपना पता है। मैट हेनरी ने पटका पटकी की तो उन्होंने मार दिया पुल में चार रन। जो मजा मैदान में लाइव पुल शॉट देखने का है वो टीवी पर कहां? ऐसी मस्त आवाज आती है बैट से कि मानों हजमोला खाके जीभ चटकाया हो। धोनी ने गाड़ी क्या स्टार्ट किया जाधव ने आते ही पांचवा गियर लगा दिया। चौका छक्का चौका छक्का। अंतिम छक्का मेरी तरफ मारा। हमारे स्टैंड में बैठी कई लड़कियां इस शॉट पर इम्प्रेस हो गयी और पछाड़ खाकर जाधव पर फ़िदा हो गयी | लेकिन जाधवकीभी मति मारी गयी। हर बाल को चार-छह करने के चक्कर में रोंची के खोंचे में फंस गया। जाने से पहले उसने धोनी के साथ पचास से ज्यादा रन की पार्टनरशिप की। अब 113 बॉल में 104 रन बनाने थे। पिच पर थे धोनी और अक्षर पटेल। पटेल का शरीर भले ही देखने में गरीबी रेखा से नीचे लगता हो लेकिन उसने स्पिनर सेंटनर को लंबा लपेटा मारा। इस बार भी बैट से हाजमोले वाली आवाज आयी। लेकिन किसको पता था कि किस्मत भी धोनी का साथ देते-देते बोर हो गयी है इसलिए धोनी का शॉट साउदी के हाथों में जाकर फँस गया और इसी के साथ मैच भी फंस गया। धोनी ने धीमे मगर महत्वपूर्ण 39 रन जोड़े थे। अब गुजरात के पांड्या ने चौका मारा तो स्क्रीन पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी ताली बजाते नजर आये। उनके साथ बीसीसीआई के नए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर बैठे थे | इन कैमरा वालों के पास इतनी शानदार टाइमिंग आती कहां से है? साथ ही साथ ये लड़कियों को भी खोज निकालते हैं चाहे वो छिप कर ही क्यों न बैठ जाये।
अब एक छोर से पटेल और मिश्रा दोनों निपट गये। 55 में 60 बनाने थे और मात्र 2 विकेट बचे थे। उमेश यादव और हार्दिक पांड्या पिच पर अंतिम उम्मीद के तौर पर बचे थे। लेकिनदोनों ने ऐसा समां बांधा की लोग जीत के खुमार में खो गये। खुमार जब टूटा तब तक दोनों50 रन के करीब की महत्वपूर्ण साझेदारी कर चुके थे। अब9 बॉल में सिर्फ11 रन की जरूरत बची थी। दर्शकों के जोश और उछल कूद से स्टेडियम की दर्शक दीर्घा हिलने लगी | प्रीति के कहने पर मैंने गौर किया कि सचमुच स्टैंड भूकंप माफिक फील दे रहा था |
उनका स्थान लिया आईपीएल की खोज मनीष पांडे ने। आते ही हमारे उपेक्षित स्टैंण्डकीतरफपुल करके छक्का मारा। बीच बीच में रहाणे की फुलझड़ी चलती रही लेकिन बड़ा बम फोड़ने के चक्कर मे वो भी ठीक हमारे नीचे धरा गये। कैच ठीक से पकड़ा नहीं गया था, इसलिए एक उम्मीद बनी रही बहुत देर तक लेकिन थर्ड अंपायर पंच परमेश्वर की भूमिका में आये तो रहाणे को जाना पड़ा। धोनी के भी आते ही फ्लैश की दीपावली शोर-शराबे के साथ मनाई गयी। तुरही बजाये गये। पानी की खाली बोतल पिटी गयी। भारत अब भी 171 रन दूर था जीत से और तीन महत्वपूर्ण खिलाड़ी पैवेलियन में अपना जूता खोल चुके थे। मनीष पांडे को भी खुजली मची। धोनी के साथ रन भागना इतना आसान कहां? हो गये रन आउट। मन ही मन सोचा ना दौड़ता तो ही अच्छा था। धोनी ठहरा बेपरवाह आदमी। कौन आया? कौन आयेगा? कोई मतलब नहीं। उनको अपना पता है। मैट हेनरी ने पटका पटकी की तो उन्होंने मार दिया पुल में चार रन। जो मजा मैदान में लाइव पुल शॉट देखने का है वो टीवी पर कहां? ऐसी मस्त आवाज आती है बैट से कि मानों हजमोला खाके जीभ चटकाया हो। धोनी ने गाड़ी क्या स्टार्ट किया जाधव ने आते ही पांचवा गियर लगा दिया। चौका छक्का चौका छक्का। अंतिम छक्का मेरी तरफ मारा। हमारे स्टैंड में बैठी कई लड़कियां इस शॉट पर इम्प्रेस हो गयी और पछाड़ खाकर जाधव पर फ़िदा हो गयी | लेकिन जाधवकीभी मति मारी गयी। हर बाल को चार-छह करने के चक्कर में रोंची के खोंचे में फंस गया। जाने से पहले उसने धोनी के साथ पचास से ज्यादा रन की पार्टनरशिप की। अब 113 बॉल में 104 रन बनाने थे। पिच पर थे धोनी और अक्षर पटेल। पटेल का शरीर भले ही देखने में गरीबी रेखा से नीचे लगता हो लेकिन उसने स्पिनर सेंटनर को लंबा लपेटा मारा। इस बार भी बैट से हाजमोले वाली आवाज आयी। लेकिन किसको पता था कि किस्मत भी धोनी का साथ देते-देते बोर हो गयी है इसलिए धोनी का शॉट साउदी के हाथों में जाकर फँस गया और इसी के साथ मैच भी फंस गया। धोनी ने धीमे मगर महत्वपूर्ण 39 रन जोड़े थे। अब गुजरात के पांड्या ने चौका मारा तो स्क्रीन पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी ताली बजाते नजर आये। उनके साथ बीसीसीआई के नए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर बैठे थे | इन कैमरा वालों के पास इतनी शानदार टाइमिंग आती कहां से है? साथ ही साथ ये लड़कियों को भी खोज निकालते हैं चाहे वो छिप कर ही क्यों न बैठ जाये।
अब एक छोर से पटेल और मिश्रा दोनों निपट गये। 55 में 60 बनाने थे और मात्र 2 विकेट बचे थे। उमेश यादव और हार्दिक पांड्या पिच पर अंतिम उम्मीद के तौर पर बचे थे। लेकिनदोनों ने ऐसा समां बांधा की लोग जीत के खुमार में खो गये। खुमार जब टूटा तब तक दोनों50 रन के करीब की महत्वपूर्ण साझेदारी कर चुके थे। अब9 बॉल में सिर्फ11 रन की जरूरत बची थी। दर्शकों के जोश और उछल कूद से स्टेडियम की दर्शक दीर्घा हिलने लगी | प्रीति के कहने पर मैंने गौर किया कि सचमुच स्टैंड भूकंप माफिक फील दे रहा था |
लेकिन पांड्या को दर्शकों का सुख देखा नहीं गया और उसने गेंद को बाहर भेजने के बजाय मैदान में ही टांग दिया। 32
Tags shrimant jainendra श्रीमंत जैनेन्द्र
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