मृत्युंजय कवि हैं और कविता के हर रूप में सिद्धहस्त हैं। सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों तरह की आलोचना में समान महारत रखते हैं। बस कम लिखते हैं लेकिन ठोस लिखते हैं। जैसे राजकमल प्रकाशन स्थापना दिवस पर आयोजित ‘भविष्य के स्वर’ में पढ़ा गया उनका यह पर्चा समकालीन लेखन के …
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