आज पढ़िए नेहा नरुका के कविता संग्रह ‘फटी हथेलियाँ’ पर यह विस्तृत टिप्पणी, लिखा है युवा लेखिका अनु रंजनी ने। यह संग्रह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है- ======================== यदि कोई स्त्री, स्त्री अधिकारों, उसके संघर्षों की बात करे तो बहुत आसानी से उस पर पक्षपात का आरोप लगा दिया जाता …
Read More »स्त्री-पुरुष के अन्तःमन की पड़ताल : स्त्री मेरे भीतर
पवन करण के कविता संग्रह ‘स्त्री मेरे भीतर’ पर यह सुविचारित टिप्पणी लिखी है युवा लेखिका अनु रंजनी ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ======================= जब हम स्त्री-गुण या पौरुष-गुण की बात करते हैं तो हम कहीं न कहीं समाज द्वारा निर्मित मापदंडों को ही सच मान रहे होते …
Read More »प्राचीन कथानक में आधुनिक भावबोध
जब युवा क्लासिक कृतियों पर लिखते हैं तो अच्छा लगता है कि वे परंपरा को समझना चाहते हैं। युवा लेखिका अनु रंजनी ने मोहन राकेश के कालजयी नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ पर यह लेख लिखा है, जिसमें कई नई बातें मुझे दिखाई दीं। आप भी पढ़ सकते हैं- ============== …
Read More »ज़िंदगी की व्यापकता से राब्ता: इन्तज़ार में ‘आ’ की मात्रा
युवा कवि नवीन रांगियाल के कविता संग्रह ‘इंतज़ार में ‘आ’ की मात्रा’ की विस्तृत समीक्षा की है युवा शोधार्थी अनु रंजनी ने। आप भी पढ़ सकते हैं- =================== “इन्तज़ार में ‘आ’ की मात्रा” नवीन रांगियाल का पहला काव्य-संग्रह है। इनकी कविताएँ तीन श्रेणियों में विभाजित हैं – ‘प्रेम’ , …
Read More »स्त्री-जीवन के विभिन्न आयाम: अमृता प्रीतम की कहानियाँ
राजपाल एंड संज प्रकाशन से प्रकाशित ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’ सीरिज़ के अंतर्गत प्रकाशित अमृता प्रीतम की कहानियों पर युवा लेखिका अनु रंजनी ने बहुत विस्तार से लिखा है। यह लेख मुझे इसलिए महत्वपूर्ण लगा क्योंकि अनु रंजनी उस पीढ़ी की लेखिका हैं जिन्होंने अमृता प्रीतम की …
Read More »ऐ मेरे रहनुमा: पितृसत्ता के कितने रूप
युवा लेखिका तसनीम खान की किताब ‘ऐ मेरे रहनुमा’ पर यह टिप्पणी लिखी है दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय गया की शोधार्थी अनु रंजनी। उनकी लिखी विस्तृत टिप्पणी पढ़िए- ========================== ‘ऐ मेरे रहनुमा’ यह शीर्षक ऐसा भाव देता है जैसे अपने सबसे प्रिय व्यक्ति को संबोधित किया जा रहा …
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