प्रवीण कुमार झा की यह कहानी पढ़िए। चंपारण के अहुना मटन के बहाने एक ग्लोबल कहानी- =================================== ‘ग म धss…ग म धsss’ भोर के घुप्प अंधकार में धैवत को आंदोलित करते भैरव गा रहा हूँ कि शायद कोई करिश्मा हो जाए। छत पर तिरछी खिड़की के शीशे को ताक रहा …
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