आज पाकिस्तान की आज़ादी का दिन है। एक ख़त पढ़िए शुऐब शाहिद का। वे संजीदा शायर हैं, चित्रकार हैं। लाहौर की दोशीज़ा के नाम इस ख़त में बँटवारे का दर्द छिपा हुआ है- —————————————————————- प्यारी दुश्मन, बरसों हुए तुम्हें बिछड़े हुए। इतने बरसों में कभी तुम्हें ख़त ना लिख सका। …
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