प्रसिद्ध लेखक स्वयंप्रकाश जी की किताब आई है है ‘लिखा पढ़ा’, उनके मरणोपरांत प्रकाशित इस पुस्तक का महत्व असंदिग्ध है। उसी का एक अंश पढ़िए- ========================= स्वयं प्रकाश जी अपने लिखे से मोहाविष्ट नहीं रहते थे। लेखन उनके लिए आंदोलन था और मिशन भी। इसके लिए कहानी, नाटक और उपन्यास …
Read More »प्रेमचंद को नहीं चेखव को पढ़कर कथाकार बना
स्वयंप्रकाश के बारे में कुछ लिखने की जरुरत नहीं उनकी कहानियां खुद उस माहिर लेखक का बयान हैं. अभी हाल में ही राजपाल एंड संस प्रकाशन से ‘मेरी प्रिय कहानियां’ सीरिज में उनकी किताब आई है. उसकी भूमिका में उन्होंने अपनी रचना-प्रक्रिया, अपनी रचनाओं, पसंदों-नापसंदों को लेकर खुल कर बात …
Read More »अब मनोरंजन के लिए कोई कहानी नहीं लिखता
स्वयंप्रकाश का नाम हिंदी कहानी में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उनसे यह बातचीत वरिष्ठ कवि नन्द भारद्वाजने की है. प्रस्तुत है कवि-कथाकार की यह दुर्लभ बातचीत- जानकी पुल. ============================================================ नंद भारद्वाज – प्रकाश, आप सातवें और आठवें दशक की हिन्दी कहानी में न केवल एक कथाकार के बतौर …
Read More »हिंदी के पाठकों का आस्वाद बदल रहा है
हाल में ही हिंदी के वरिष्ठ कथाकार स्वयंप्रकाश को कथाक्रम सम्मान दिए जाने की घोषणा हुई है. इस अवसर पर प्रस्तुत है इलेक्ट्रोनिक मीडिया, भारतीय समाज और हिंदी कहानी के पारस्परिक संबंधों पर उनके साथ माधव हाड़ा की बातचीत. बातचीत उपलब्ध करवाने के लिए हम कल्पनाशील संपादक, युवा आलोचक पल्लव के आभारी …
Read More »