सईद अयूब बहुत कल्पनाशील तरीके से पिछले कई सालों से साहित्यिक आयोजन करते रहे हैं. करीब एक महीने पहले जब उन्होंने बताया कि सीपी के एक रेस्तरां में पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानियों पर चर्चा करनी है तो लगा कि बात कुछ अधिक ही कल्पनाशील तो नहीं हो गई? लेकिन कल …
Read More »भालचंद्र नेमाड़े को सुनते हुए ‘नाकोहस’ कहानी की याद
परसों की ही तो बात है. राजकमल प्रकाशन का स्थापना दिवस समारोह था, उसमें भालचंद्र नेमाड़े को हिंदी में भारतीय संस्कृति की बहुवचनीयता पर बोलते हुए सुना तो मुझे पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘नाकोहस’ याद आई. अकारण नहीं था. मृदुला गर्ग ने उस कहानी के अपने दूसरे पाठ के बाद …
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