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लथपथ सहानुभूति का प्रतिपक्ष:  रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ

अभी हाल में ही अपने यादगार विशेषांकों के लिए जानी जाने वाली पत्रिका ‘बनास जन’ का नया अंक आया है प्रसिद्ध लेखक-सम्पादक रवीन्द्र कालिया पर। इस अंक में कालिया जी की कहानियों पर दुर्लभ लेखक हिमांशु पण्ड्या एक पठनीय लेख आया है। आपकी नज़र है- मॉडरेटर ============= ‘चाल’ कहानी में …

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मार्केज़ का जादू मार्केज़ का यथार्थ

जानकी पुल पर कभी मेरी किसी किताब पर कभी कुछ नहीं शाया हुआ. लेकिन यह अपवाद है. प्रवासी युवा लेखिका पूनम दुबे ने मेरी बरसों पुरानी किताब ‘मार्केज़: जादुई यथार्थ का जादूगर’ पर इतना अच्छा लिखा है साझा करने का लोभ संवरण नहीं कर सका- प्रभात रंजन =============================================== कुछ महीने …

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कासनी पर्वत-रेखाओं पर तने सुनील आकाश

अनुकृति उपाध्याय का कहानी संग्रह ‘जापानी सराय’ अभी हाल में ही आया है राजपाल एंड संज प्रकाशन से, जिसकी कहानियां अपने कथन, परिवेश, भाषा से एक विशिष्ट लोक रचती है. अनुकृति के यात्रा वर्णनों की भी अपनी विशिष्टता है. उनके लेखन में परिवेश जिन्दा हो उठता है. यह यात्रा कुमाऊँ …

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वसन्त में वसंत की याद

वसंत आया तो अपने ही एक पुराने लेख की याद आ गई- प्रभात रंजन ======================================== ‘यह कैसा युवा लेखन है जी? कोनो वसंत पर लिखता ही नहीं है!’ सीतामढ़ी के सनातन धर्म पुस्तकालय के पुराने मेंबर सुशील बाबू ने जब फोन पर पूछा तो अचानक कोई जवाब ही नहीं सूझा. …

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क्रांतिकारी लेखक मन्मथनाथ गुप्त की याद

आजादी की लड़ाई के दौरान क्रांतिकारी संगठन का हिस्सा रहे मन्मथनाथ गुप्त हिंदी के लेखक भी थे और उन्होंने खूब लिखा, अनेक विधाओं में लिखा. कल यानी 7 फ़रवरी को उनकी जयंती थी. उनको याद करते हुए नवीन शर्मा का यह लेख- मॉडरेटर ==================================== आमतौर पर बंदूक व कलम को …

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जो दायरों में फँसा वह भीमसेन जोशी न बन सका

आज शास्त्रीय संगीत की महान विभूति पंडित भीमसेन जोशी की जयंती है. इस अवसर पर संगीत अध्येता प्रवीण झा का यह सुन्दर आलेख पढ़िए- मॉडरेटर =================================== धारवाड़ में उस दिन उस्ताद विलायत ख़ान सितार बजा रहे थे, और रात भर का कार्यक्रम था। तब तक बंबई का वह विक्रमादित्य सम्मेलन …

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‘रंगभूमि’ का रंग और उसकी भूमि

प्रेमचंद का साहित्य जब से कॉपीराईट मुक्त हुआ है तब से उनकी कहानियों-उपन्यासों के इतने प्रकाशनों से इतने आकार-प्रकार के संस्करण छपे हैं कि कौन सा पाठ सही है कौन सा गलत इसको तय कर पाना मुश्किल हो गया है. बहरहाल, मुझे उनका सबसे प्रासंगिक उपन्यास ‘रंगभूमि’ लगता है. इतना …

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महात्मा से गांधी तक

आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है. एक समाचारपत्र के लिए महात्मा गांधी की समकालीन छवियों पर लिखा था. आज उनकी स्मृति में समय हो तो पढ़कर बताइयेगा- प्रभात रंजन ========================================= असगर वजाहत के नाटक गोडसे@गांधी.कॉम में नवीन नामक एक विद्यार्थी गांधी जी के पास आता है। गांधी जी उससे पूछते …

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वह आज के हिंदी समाज की अंतरात्मा की आवाज थीं

आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ अखबार ने कृष्णा सोबती को श्रद्धांजलि स्वरुप सम्पादकीय लिखा है. आज अखबार में यही एक सम्पादकीय है. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ===================================== जिस किसी ने 90 साल की उम्र में अस्वस्थता के बावजूद 1 नवंबर, 2015 को दिल्ली के मावलंकर सभागार के मंच तक व्हीलचेर पर आईं …

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हिंदी सिनेमा का हरफनमौला विजय आनंद

कल प्रसिद्ध फ़िल्मकार, अभिनेता विजय आनंद की जन्मतिथि थी. उनके बारे में एक एक सूचनात्मक लेख लिखा है नवीन शर्मा ने- मॉडरेटर विजय आनंद को हिंदी सिनेमा का हरफनमौला खिलाड़ी कहना ज्यादा सही रहेगा। वे बेहतरीन निर्देशक थे, संवेदनशील अभिनेता भी थे। इसके साथ साथ वे लेखक और अच्छे एडिटर …

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