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लेख

मोतिहारी में जन्मा लेखक जो भविष्य देखता था

आज जॉर्ज ऑरवेल की पुण्यतिथि है. यह लेख लिखा है झारखण्ड के पत्रकार-लेखक नवीन शर्मा ने- मॉडरेटर =================== विश्व साहित्य में अंग्रेजी के प्रसिद्ध उपन्यास 1984 और एनिमल फार्म विशिष्ट स्थान रखते हैं। इन कालजयी किताबों के लेखक जार्ज ओरवेल का जन्म 25 जून 1903  बिहार के मोतिहारी में हुआ …

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छोटे शहर के युवाओं में गंभीरता बढ़ी है

मनीष पुष्कले बेहद चर्चित चित्रकार हैं और साथ ही बेहद संवेदनशील लेखक भी. आज प्रभात खबर में प्रकाशित उनका यह लेख युवाओं को अवश्य पढना चाहिए. जिन्होंने न पढ़ा हो उनके लिए हम प्रस्तुत कर रहे हैं- मॉडरेटर ====================== पिछले कुछ सालों से विभिन्न शहरों, धाराओं और अनेक तबकों के …

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अमृत रंजन के कविता संकलन ‘जहाँ नहीं गया’ की भूमिका

हाल में ही जानकी पुल के संपादक और युवतम कवि अमृत रंजन का कविता संकलन ‘जहाँ नहीं गया’ नयी किताब प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. आप किताब की भूमिका पढ़ सकते हैं जो मैंने लिखी है. पुस्तक मेले में यह किताब नयी किताब के स्टाल पर उपलब्ध है. आप चाहें …

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अपना शहर पराया शहर

भाषा एवं शिक्षा शास्त्र विशेषज्ञ कौशलेन्द्र प्रपन्न का यह लेख शहरों के अपने परायेपन को लेकर है. बेहद आत्मीय गद्य- मॉडरेटर ==================== शहर किसी का भी हो वह हमें ताउम्र प्यारा होता है। बार बार लौटकर अपने शहर आने का लोभ हम रोक नहीं पाते। कहीं भी रहें। देश दुनिया …

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बीतता साल साहित्य का हाल

अजमेर में प्राध्यापिका विमलेश शर्मा ने साल 2018 के साहित्यिक परिदृश्य का लेखा जोखा प्रस्तुत किया है. लेख में व्यक्त विचार लेखिका के अपने हैं- मॉडरेटर ======================================= और शब्द-रथ पर यों ही कारवाँ चलता रहे… “मुझमें जीवन की लय जागी मैं धरती का हूँ अनुरागी जड़ीभूत करती है मुझको यह …

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इतिहास के गड़े मुर्दे, धर्म और इतिहास

इतिहासकार रज़ीउद्दीन अक़ील लगातार हिंदी में लिखते हैं और अनेक संवेदनशील विषयों से हिंदी भाषा को समृद्ध करते हैं. जैसे यह लेख देखिये जिसमें इतिहास लेखन और धर्म के विषय पर उन्होंने स्पष्ट सोच के साथ लिखा है- मॉडरेटर ======================== वैचारिक संघर्षों और पहचान की राजनीति में इतिहास का इस्तेमाल …

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फ़नकार नहीं, सुनकार!

शाम को संगीत सभा होती है. जब इस सभा में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को लेकर प्रवीण झा को पढने को मिल जाए तो कहना ही क्या. पढ़िए उनके कुछ संगीत-किस्से- मॉडरेटर ================================================ यह विडंबना है कि क्रिकेट पर किताबें रामचंद्र गुहा और शशि थरूर सरीखों को लिखनी पड़ी। राजदीप सरदेसाई …

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उपन्यास की स्त्री: अपूर्णता का विधान 

आशुतोष भारद्वाज शिमला के उच्च अध्ययन संस्थान में अपनी फ़ेलोशिप के दौरान भारतीय उपन्यास की स्त्री पर एक किताब लिख रहे हैं। उसका एक अंश- मॉडरेटर ========================================== उपन्यास की भारत में यात्रा कई अर्थों में भारत की खोज में निकली एक साहित्यिक विधा की यात्रा है। पिछले डेढ़ सौ वर्षों …

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भोजपुरी के भिखारी, जिन्हें मल्लिकजी कहा जाता है

आज भोजपुरी के अमर लोक कलाकार भिखारी ठाकुर की जयंती है. उनको याद करते हुए, उनके योगदान को याद करते हुए प्रसिद्ध लोक गायिका चन्दन तिवारी का यह लेख पढ़िए. बेहद पठनीय और जरूरी लेख आज के दिन के लिए- मॉडरेटर ======================= आज 18 दिसंबर है. भोजपुरी के लिए बहुत …

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ख़ुसरौ रैन सुहाग की जागी पी के संग, तन मेरो मन पियो को दूधिए एक रंग 

जब इतिहास के किसी किरदार, किसी प्रसंग पर इतिहासकार लिखता है तो उससे विश्वसनीयता आती है और आजकल इतिहास के विश्वसनीय पाठ पढना जरूरी लगने लगा है. हज़रत अमीर ख़ुसरौ देहलवी (१२५३ – १३२५) पर जाने-माने इतिहासकार रज़ीउद्दीन अक़ील का लिखा पढ़िए. हिंदी और उर्दू के इस आरंभिक शायर पर रज़ी साहब …

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