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दूरदर्शन की नई पहल है ‘दृश्यांतर’

दूरदर्शन की नई पहल है ‘दृश्यांतर’. ‘मीडिया, साहित्य,संस्कृति और विचार’ पर एकाग्र इस पत्रिका का प्रवेशांक आया है. जिसमें सबसे उल्लेखनीय है श्याम बेनेगल से त्रिपुरारी शरण से बातचीत. ‘मोहल्ला अस्सी वाया पिंजर’ में सिनेमा के अपने अनुभवों पर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने अच्छा संस्मरणात्मक लेख लिखा है. यतीन्द्र मिश्र लोकप्रिय …

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फेसबुक पर फेस को नहीं, बुक को प्राथमिकता मिलनी चाहिए

वरिष्ठ लेखक-पत्रकार राजकिशोर वाद-विवाद बनाए रहते हैं. अब आभासी दुनिया को लेकर लिखा गया उनका यह लेख ही ले लीजिये. बहरहाल, यह तो तय है कि सारे वाद-विवाद के बावजूद वे संवाद बनाए रखते हैं. आभासी दुनिया के मित्रों के नाम उनका यह लेख- जानकी पुल. ======================================================= मैं यह दावा …

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पुरुष थमाते है स्त्री के दोनों हाथों में अठारह तरह के दुःख

दुर्गा के बहाने कुछ कविताएँ लिखी हैं युवा कवयित्री विपिन चौधरी ने. एक अलग भावबोध, समकालीन दृष्टि के साथ. कुछ पढ़ी जाने वाली कविताएँ- जानकी पुल. ================================== 1  एक युग में  ब्रह्मा, विष्णु, शिव थमाते है तुम्हारे अठारह हाथों में अस्त्र शस्त्र  राक्षस वध  की अपूर्व सफलता के लिये सौंपते हैं   शेर की नायाब सवारी   …

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सचमुच आराम से चली गयी माँ

शिवमूर्ति हमारे समय के बेहतरीन गद्यकार हैं. उनके गद्य में जीवन को महसूस किया जा सकता है, इतना जीवंत गद्य. अभी हाल में ही अपनी माँ को याद करते हुए उन्होंने कुछ लिखा, कई बार पढ़ा. जब-जब पढ़ा आँखें छलछला गई. यह महज संयोग है कि अभी इसे यहाँ पोस्ट …

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भारतीय भाषाओं का ‘समन्वय’

‘समन्वय’ के पुराने आयोजन का एक सत्र  इण्डिया हैबिटेट सेंटर के वार्षिक साहित्यिक आयोजन ‘समन्वय’ का आयोजन इस बार 24-27 अक्टूबर 2013 को हो रहा है. प्रस्तुत है कार्यक्रम की विस्तृत रुपरेखा- जानकी पुल.  ============================================== 20 से ज्यादा भाषाएँ और बोलियां,90 से अधिक वक्ता नई दिल्ली. 9अक्टूबर 2013. तीसरा  समन्वय: …

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एक-आध दिन मौसी के घर भी चले जाना चाहिए

संजय गौतम कम लिखते हैं लेकिन मानीखेज लिखते हैं. उदाहरण के लिए यही लेख जिसमें इब्ने इंशा की किताब ‘उर्दू की आखिरी किताब’ के बहाने उर्दू व्यंग्य की परम्परा का दिलचस्प जायजा लिया गया है- जानकी पुल. ================== व्यंग्य विधा में समकालीनता एवं उपयोगिता का प्रश्न (‘उर्दू की आख़िरी किताब’ …

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‘अरे! तुम! उमराव जान अदा !’

रोहिणी अग्रवाल एक सजग आलोचक और संवेदनशील कथाकार हैं. उनके इस लेख में उनके लेखन के दोनों रूप मुखर हैं. आप भी पढ़िए- जानकी पुल. ================================= हर चैनल पर आनंद से उमगते मनचलों की भीड़ है जो डांस क्लबों में बार डांसर्स के दोबारा लौट आने की खबर से बाग–बाग …

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दबाव आप पर तब नहीं, अब आया है

‘लमही सम्मान’ के सम्बन्ध में सम्मान के संयोजक और ‘लमही’ पत्रिका के संपादक विजय राय द्वारा यह  कहे जाने पर कि 2012 के सम्मान के निर्णय में निर्णायक मंडल से चूक हुई, सम्मानित लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने अपना सम्मान वापस कर दिया. अब उस सम्मान के संबंध में महेश भारद्वाज, …

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यह समय हमारी कल्पनाओं से परे है

‘देर आयद दुरुस्त आयद’- यह मुहावरा अंजू शर्मा के सन्दर्भ में सही प्रतीत हो है. उन्होंने कविताएँ लिखना शायद देर से शुरू किया लेकिन हाल के वर्षों में जिन कवियों ने हिंदी में अपनी पहचान पुख्ता की है उनमें अंजू शर्मा का नाम प्रमुखता से लिए जा सकता है. आज …

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मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी ‘मौसमों के मकान सूने हैं’

मनीषा कुलश्रेष्ठ हमारी भाषा की एक ऐसी लेखिका हैं जिनको पाठकों और आलोचकों की प्रशंसा समान रूप से मिली हैं. उनकी एक नई कहानी, जो हाल में ही एक समाचार पत्रिका ‘आउटलुक’ में छपी थी- जानकी पुल.  =============  इस बार वह इस मसले पर एकदम गंभीर थी. दिन भी बरसता – …

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