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प्रेमचंद और उनकी लिखी फ़िल्म ‘मजदूर’

आज महान लेखक प्रेमचंद की जयंती है. इस अवसर उनकी लिखी फिल्म ‘मजदूर’ के बारे में दिलनवाज का यह दिलचस्प लेख- जानकी पुल. ===================     कम ही लोग जानते हैं कि फिल्मों में किस्मत आजमाने प्रेमचंद कभी बंबई आए थे। बंबई पहुंचकर,जो कहानी उन्होने सबसे पहले लिखी वह ‘मजदूर’ थी। …

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चलन्तिका टीकाओं का पूरा अर्थशास्त्र बदल चुका है

संजीव कुमार हमारे दौर बेहतरीन गद्यकार हैं. उनका यह वृत्तान्त एक सिनेमा हॉल के बहाने पटना के आधुनिक-उत्तर-आधुनिक होने की कथा है. केवल पटना ही क्यों हमारे कस्बाई शहरों के रूपांतरण की कथा है. अद्भुत किस्सागोई, स्मृति-बिम्बों के सहारे अतीत का एक ऐसा लोक रचते हैं संजीव कुमार जिसमें अतीत …

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मुक्तिबोध की एक आरंभिक कहानी ‘सौन्‍दर्य के उपासक’

मगहिवि के वेबसाईट हिंदी समय को देख रहा था तो अचानक मुक्तिबोध की १९३५ में प्रकाशित इस कहानी पर ध्यान चला गया. कहानी को पढते ही आपसे साझा करने का मन हुआ- जानकी पुल.  ———————————————————————————————————       कोमल तृणों के उरस्‍थल पर मेघों के प्रेमाश्रु बिखरे पड़े थे। रवि …

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रवीन्द्रनाथ के मिथिला से आत्मीय सम्बंध थे- बुद्धिनाथ मिश्र

आज रवीन्द्र जयंती है. उनके जीवन-लेखन से जुड़े अनेक पहलुओं की चर्चा होती है, उनपर शोध होते रहे हैं. एक अछूते पहलू को लेकर डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने यह लेख लिखा है. बिहार के मिथिला प्रान्त से उनके कैसे रिश्ते थे? एक रोचक और शोधपूर्ण लेख- जानकी पुल. ———————————————————————————————   …

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नामवर सिंह पर कमलेश्वर का लेख

  यह नामवर सिंह के जन्म का महीना है. आज भी हिंदी की सबसे बड़ी पहचान नामवर सिंह ही हैं. उनके शतायु होने की कामना के साथ यह लेख जो ‘कहानी नई कहानी’ पुस्तक के लेखक नामवर सिंह पर प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर ने लिखा था- जानकी पुल. ———————————————————————————– ज़िंदगी में …

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स्वदेश दीपक होना और होकर खो जाना

स्वदेश दीपक पिछले आठ साल से लापता हैं. अभी कुछ लोगों ने फेसबुक पर उनको ढूंढने की मुहिम चलाई है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए. युवा कवयित्री विपिन चौधरी ने स्वदेश दीपक को याद करते हुए यह संस्मरणात्मक लेख लिखा है. आपके लिए – जानकी पुल ————————————————————————————————– इस दौर- ए- हस्ती …

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भगत सिंह और रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के नाम दो कविताएँ

  शहीदी दिवस पर विपिन चौधरी की कविताएँ- जानकी पुल. ————————————————————- १.शहीद–ए-आज़म के  नाम एक कविता उस वक़्त भी होंगे तुम्हारी बेचैन करवटों के बरक्स चैन से सोने वाले आज भी बिलों में कुलबुलाते हैं तुम्हारी जुनून मिजाज़ी  को “खून की गर्मी” कहने वाले तुमने भी तो दुनिया को बिना परखे …

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‘ग्लोबलाइजेशन’ पुस्तकों की देन है – चित्रा मुद्गल

कल से 20वां नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला शुरू होने जा रहा है। जीवन में पुस्तकों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। इसी बात को ध्यान में रखते हुए “पुस्तक-लेखन-शिक्षा-साहित्य-पुरस्कार” आदि विषयों पर चित्रा मुद्गल जी ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। पुस्तक मेले में उनकी नई पुस्तकों के …

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सुकमा के जंगल में काली धातु चमकती है

प्रसिद्ध पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने 2012 में छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में रहते हुए वहां के अनुभवों को डायरी के रूप में लिखा था. सुकमा की नृशंस हत्याओं के बाद उनकी डायरी के इस अंश की याद आई जो नक्सली माने जाने वाले इलाकों की जटिलताओं को लेकर हैं. हालात …

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तुझसे मैं मिलता रहूँगा ख़्वाब में

कल हरदिल अज़ीज़ शायर शहरयार का इंतकाल हो गया. उनकी स्मृति को प्रणाम. प्रस्तुत है उनसे बातचीत पर आधारित यह लेख, जो अभी तक अप्रकाशित था. त्रिपुरारि की यह बातचीत शहरयार के अंदाज़, उनकी शायरी के कुछ अनजान पहलुओं से हमें रूबरू करवाती है – मॉडरेटर ======================================================   वो सुबह बहुत हसीन …

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