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शर्मिला बोहरा जालान की कहानी ‘सिर्फ कॉफी’

शर्मिला बोहरा जालान समकालीन हिंदी कहानी में अपने अंडरटोन के साथ मौजूद हैं. कोलकाता में अलका सरावगी के बाद जो कथा पीढ़ी विकसित हुई उसमें वह सबसे सशक्त लेखिका हैं. भाषा, कहाँ सब में. फिलहाल उनकी एक छोटी सी कहानी- मॉडरेटर =============== मंजरी को कहीं भी जाना होता सबसे पहले …

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रवीन्द्रनाथ की संगीत प्रतिभा अद्वितीय थी

आज रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती है. सम्पूर्ण कलाकार का जीवन लेकर आये उस महान व्यक्तित्व के संगीतकार पक्ष पर हिंदी में बहुत नहीं लिखा गया है. बांगला साहित्य के विद्वान् उत्पल बैनर्जी का यह लेख गुरुदेव की संगीत प्रतिभा को लेकर लिखा गया है जो पढने और संजोने लायक है- …

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अनुशक्ति सिंह की (अ)कविताएँ

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम हज़ारों तरह की परिस्थितियों से गुज़रते हैं। लेकिन एक वक़्त आता है, जब यह ‘गुज़रना’ हमारा अनुभव बन जाता है। उन अनुभवों को लिखना उतना ही मुश्किल है, जितना एक रूह को पैकर देना। अनुशक्ति की कविताएँ ज़िंदगी के नए ‘डायमेंशन’ की तरफ़ इशारा करती …

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धर्म जनता की अफीम है- कार्ल मार्क्स

अपने नॉर्वे प्रवासी डॉ प्रवीण झा का लेखन का रेंज इतना विस्तृत है कि कभी कभी आश्चर्य होता है. उनके अनुवाद में प्रस्तुत है आज कार्ल मार्क्स के उस प्रसिद्ध लेख का अनुवाद किया है जिसमें मार्क्स ने लिखा था कि धर्म जनता की अफीम है- मॉडरेटर ============= यह लेख …

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अरुण चन्द्र रॉय की कुछ कविताएँ

आज अरुण चन्द्र रॉय की कविताएँ. अरुण चन्द्र रॉय अनुवादक हैं, प्रकाशक हैं लेकिन मूलतः कवि हृदय हैं. अपने समकाल पर कविताओं के माध्यम से मारक टिप्पणियां करते रहते हैं. ‘खिड़की पर समय’ नाम से इनका एक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुका. कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं- मॉडरेटर ======================================== हिंदुस्तान की …

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बंदे में दम था इतना तो उसके विरोधी भी मानते हैं!

आज अपने विद्वान साथी मनोज कुमार की फेसबुक वाल से पता चला कि कार्ल मार्क्स का जन्मदिन है. उन्होंने बहुत मानीखेज ढंग से मार्क्स पर यह छोटी सी टिपण्णी भी लिखी है. आपके लिए- प्रभात रंजन ========================================== आज कार्ल मार्क्स का जन्मदिन है | उन्नीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक (1818 …

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सीता होना इतना आसान भी नहीं होता

कल जानकी जयंती मेरे शहर में दीवाली की तरह मनाई गई. पहले इतने आयोजन नहीं होते थे लेकिन इस बार खूब हुए. लेकिन कल सीता जयंती पर सबसे अच्छा यह पढ़ना लगा. राजीव कटारा जी ने लिखा है. वे ‘कादम्बिनी’ के संपादक हैं और अपने ढंग के अकेले लेखक हैं. …

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वक़्त तय करेगा कि बसने से पहले और कितनी बार उजड़ना है उसे

आज पहली बार स्मिता सिन्हा की कविताएँ जानकी पुल पर. स्मिता जी की कविताएँ पत्र पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपती रहती हैं. उनकी कविताओं में पर्सनल टच है जो पढ़ते हुए अपने निजी जैसा लगने लगता है. आज उनकी कविताएँ- मॉडरेटर ========== वक़्त तय करेगा कि बसने से पहले …

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सीता सही मायने में धरती पुत्री थीं

सुबह मैंने सीता जयंती के मौके पर देवदत्त पट्टनायक की किताब ‘सीता के पांच निर्णय’ का एक प्रसंग साझा किया था. बाद में ध्यान आया कि देवदत्त पट्टनायक की एक और किताब है ‘सीता’ जिसका अनुवाद जानी मानी अनुवादिका रचना भोला यामिनी ने किये है. मंजुल प्रकाशन से आई इस …

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सीता जयंती पर सीता को याद करते हुए

आज सीता जयंती है. मेरे शहर सीतामढ़ी में सीता जयंती का आयोजन धूमधाम से किया जाता है. मैं यहाँ देवदत्त पट्टनायक की किताब ‘सीता के पांच निर्णय’ पढ़ रहा हूँ. आप भी उसका अंतिम अंश पढ़िए जिसमें सीता के जीवन की अंतिम कहानी दी गई है- प्रभात रंजन =================== उस …

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