Home / फिल्म समीक्षा (page 8)

फिल्म समीक्षा

क्या ‘रंगून’ कंगना की सबसे यादगार फिल्म होगी?

‘रंगून’ फिल्म या तो हंटरवाली नाडिया जैसे किरदार के कारण चर्चा में है या कंगना रानाउत के कारण. फिल्म के ट्रेलर, गानों से लेकर फिल्म को लेकर दिए गए अपने इंटरव्यू वगैरह में कंगना ने जिस तरह से बातें की हैं वह ‘रंगून’ को लेकर एक ख़ास तरह की दिलचस्पी …

Read More »

क्या ‘रंगून’ की कहानी ‘हंटरवाली’ के जीवन से प्रेरित है?

1930 के दशक के आखिरी वर्षों में ‘हंटरवाली’ के नाम से मशहूर नादिया को एक तरह से हिंदी सिनेमा की पहली आधुनिक अभिनेत्री कहा जा सकता है. इस शुक्रवार रिलीज होने वाली विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘रंगून’ उसी के जीवन से प्रेरित है. फिल्म में कंगना रानाउत का जो कैरेक्टर …

Read More »

रईस नहीं होता तो आज की  सियासत  नहीं होती

‘रईस’ एक राजनीतिक फिल्म है लेकिन जो अहमदाबाद, गुजरात की राजनीति को नहीं समझते वे इसकी राजनीति को नहीं समझ सकते. राजनीति विज्ञानी, दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक प्रवीण प्रियदर्शी ने शाहरुख़ खान अभिनीत इस फिल्म और इसकी राजनीति पर बहुत अच्छा लेख लिखा है, जो मेरे जानते …

Read More »

लव यू जिंदगी.. ‘डियर जिंदगी’

शाहरुख़ खान-आलिया भट्ट अभिनीत गौरी शिंदे निर्देशित फिल्म ‘डियर ज़िन्दगी’ लोगों को प्रभावित कर रही है. उनको अपने जीवन के करीब महसूस हो रही है. आज सैयद एस. तौहीद ने इस फिल्म पर लिखा है- मॉडरेटर =============== जिंदगियां बोलती हैं । लेकिन कभी कभी बहुत कुछ जाहिर नहीं हो पाता …

Read More »

कई जरूरी सवाल उठाने वाली फिल्म ‘डियर जिंदगी’

शाहरुख़ खान-आलिया भट्ट की फिल्म ‘डियर जिंदगी’ कल रिलीज हुई. फिल्म की एक संवेदनशील रिव्यू दिव्या विजय ने लिखी है- मॉडरेटर ============================ महिला निर्देशकों के साथ बॉलीवुड के स्त्री-किरदार फेमिनिज़म का यथार्थवादी स्वाद चख रहे हैं. वे क्रान्ति का परचम लहराने की बजाय, रोज़मर्रा के जीवन में घटित बदलावों को …

Read More »

अम्बर्तो इको का उत्तर-आधुनिक मायालोक

उत्तर आधुनिकता के प्रमुख व्याख्याकारों, लेखकों में अम्बर्तो इको का नाम बहुत प्रमुखता से लिया जाता है. उनके ऊपर यह लेख विजय शर्मा ने लिखा है- मॉडरेटर  कुछ साल पहले एक फ़िल्म देख रही थी। खूब मजा आ रहा था। अपराध, हत्याएँ, रहस्य, जासूसी, भला किसे अच्छा न लगेगा? भूल-भुलैय्या …

Read More »

‘मिर्ज्या’ फिल्म आई भी चली भी गई!

राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘मिर्ज्या’ पर सैयद एस. तौहीद की टिप्पणी- मॉडरेटर  ==========================================================   राकेश ओमप्रकाश मेहरा की ‘मिर्जिया’ रिलीज़ हुई.. आपने देखी? दो कहानियों को साथ लेकर चलती इस फ़िल्म के एक छोर पर पंजाब की लोककथा मिर्जा-साहिबा का युग है. दूसरी कहानी आज के राजस्‍थान के आदिल-सुचि …

Read More »

नवरात्र, बांगला संस्कृति और ‘अंधी छलांग’

नवरात्र के दौरान बांगला समाज के जीवन, उनकी संस्कृति और एक स्त्री के निजी जीवन की त्रासदी को लेकर बांगला भाषा की नई दौर की चर्चित लेखिका मंदाक्रान्ता सेन का उपन्यास है ‘अंधी छलांग’. आज महानवमी है. आज इस उपन्यास पर लिखा यह लेख. लिखा है हिंदी लेखिका शर्मिला बोहरा …

Read More »

क्या 2 अक्टूबर 1869 महात्मा गाँधी की सही जन्मतिथि नहीं है?

लोग भी किन किन बातों पर कितना शोध करते हैं. एक सदानंद पॉल जी हैं. पढ़िए इन्होने क्या शोध किया है? हाँ, लेख के बाद उनका परिचय भी धैर्यपूर्वक पढियेगा- मॉडरेटर  ======================================== आज से 10 साल पहले मैंने स्व0 देवकीनन्दन सिंह की पुस्तक ‘ज्योतिष- रत्नाकर‘ (पृष्ठ संख्या- 979 से 985 …

Read More »

पति, पत्नी और वो का मुकदमा और ‘रुस्तम’

नानावती के प्रसिद्ध मुकदमे को लेकर फिल्म आई है ‘रुस्तम’. पति, पत्नी और वो की इस कहानी को देखने का नजरिया भी समय के साथ बदलता जा रहा है और इसकी व्याख्या भी. ‘रुस्तम’ की एक आलोचनात्मक समीक्षा लेखिका दिव्या विजय ने लिखी है- मॉडरेटर. ============================================ सीपिया शेड की यह …

Read More »