प्रसिद्ध कला एवं फिल्म समीक्षक विनोद भारद्वाज ने कला जगत को लेकर दो उपन्यास पहले लिखे थे. हाल में ही उनका तीसरा उपन्यास आया है ‘एक सेक्स मरीज़ का रोगनामचा: सेक्स ज़्यादा अश्लील है या कला जगत’, इस उपन्यास की समीक्षा इण्डिया टुडे के नए अंक में प्रकाशित हुई है …
Read More »‘दुर्वासा क्रोध’ वाला मानवीय व्यक्तित्व
विष्णु खरे के निधन के बाद जो श्रद्धांजलियाँ पढ़ीं उनमें मुझे सबसे अच्छी वरिष्ठ लेखक विनोद भारद्वाज की लगी। इंडिया टुडे में प्रकाशित इस श्रद्धांजलि को साभार प्रस्तुत कर रहा हूँ- प्रभात रंजन ============================================ कभी-कभी मौत एक बहुत गलत और अजीब समय पर आकर दरवाजे पर चुपचाप खड़ी हो जाती …
Read More »विनोद भारद्वाज की कुछ कविताएँ
1. एक तरफ हिंदी के बड़े प्रकाशक यह कहते हैं कि हिंदी में कविता की किताबें नहीं बिकती हैं. दूसरी तरफ, हिंदी के नए-नए प्रकाशक कविता की किताब बड़े प्यार से छापते हैं. अभी हाल में ही Anybook प्रकाशन ने जौन इलिया का दीवान छापा है. मेरे हाथ में फिलहाल copper …
Read More »70 के दशक की पत्रकारिता का ‘सच्चा झूठ’
एक जमाने तक हिंदी में कला और सिनेमा लेखन के पर्याय जैसे रहे विनोद भारद्वाज ने हाल में ही एक उपन्यास लिखा है- ‘सच्चा झूठ’, जो 70 के दशक की पत्रकारिता को लेकर है. वह पत्रकारिता का वह दौर था जब साहित्य और पत्रकारिता में फर्क नहीं किया जाता था, …
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