जसिंता केरकेट्टा झारखंड में रहती हैं और उनकी कविताओं में मूल निवासी समाज का दर्द, संघर्ष नज़र आता है। आज उनकी कुछ कविताएँ पढ़ते हैं जो उनके शीघ्र प्रकाशित होने वाले कविता संग्रह ‘ईश्वर और बाज़ार’ से है, जिसका प्रकाशन राजकमल से होने वाला है – मॉडरेटर =========================== 1. …
Read More »भविष्य का समाज: सहजीविता के आयाम: जसिंता केरकेट्टा
जसिंता केरकेट्टा कवयित्री हैं, आदिवासी समाज की मुखर आवाज़ हैं। राजकमल स्थापना दिवस के आयोजन में 28 फ़रवरी को ‘भविष्य के स्वर’ के अंतर्गत उनका वक्तव्य सहजीविता के आयामों को लेकर था- मॉडरेटर ======================== क्यों महुए तोड़े नहीं जाते पेड़ से? ………………………………. माँ तुम सारी रात क्यों महुए के …
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