प्रियदर्शी ठाकुर ख़याल इन दिनों अपने उपन्यासों के कारण चर्चा में हैं लेकिन वे मूलतः ग़ज़लगो रहे हैं। आइए उनकी कुछ चुनिंदा ग़ज़लें उनके आत्मकथ्य के साथ पढ़ते हैं- ====================== पेशलफ्ज़ सन् १९७५ से शेर कहता आ रहा हूँ , और इस बरस पचहत्तर का हो जाऊँगा l …
Read More »रानी रूपमती ने बाँची अपनी कथा: ‘रानी रूपमती की आत्मकथा’
वरिष्ठ लेखक प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’ का उपन्यास आया है ‘रानी रूपमती की आत्मकथा’। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास पर यह टिप्पणी लिखी है युवा कवयित्री रश्मि भारद्वाज ने। आप भी पढ़ सकते हैं- =================== मांडू का उल्लेख आते ही आँखों के आगे प्रेम, समर्पण और विद्रोह की एक कथा …
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