बंद कमरों की सुविधा से बाहर निकलने पर बार-बार इस बात का अनुभव होता है कि हवाओं में देशभक्ति का रंग घुलता जा रहा है. खासकर जो युवा आबादी है वह देशप्रेम को सबसे बड़ा प्रेम मानने लगी है. मुझे उन उपन्यासों की याद आती है जो स्वतंत्रता संघर्ष की …
Read More »ओम प्रकाश आदित्य की कविता ‘इधर भी गधे हैं’
यूपी चुनाव और गधा विमर्श में ओम प्रकाश आदित्य की यह कविता भी पढियेगा- मॉडरेटर ============================================= इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं जिधर देखता हूं, गधे ही गधे हैं गधे हँस रहे, आदमी रो रहा है हिन्दोस्तां में ये क्या हो रहा है जवानी का आलम गधों के …
Read More »