मैत्रयी पुष्पा की किताब ‘वह सफ़र था कि मुकाम था’ पर चल रहे विवाद पर युवा लेखिका दिव्या विजय की टिप्पणी- मॉडरेटर ======= ‘वह सफ़र था कि मुकाम था’ इस पर मैत्रेयी पुष्पा भले ही कन्फ़्यूज़्ड हों पर आस-पास चल रहे मुबाहिसे में लगभग सब एक मुकाम पर पहुँच चुके …
Read More »मैत्रयी जी बड़ी लेखिका हैं, उनको सावधानी से लिखना चाहिए था
मैत्रेयी पुष्पा की किताब ‘वह सफ़र था कि मुकाम था’ पर चल रहे विवाद पर जेएनयू में कोरियन विभाग में शोधा छात्रा रोहिणी कुमारी की टिप्पणी- ============ हिंदी जगत को ठीक से नहीं जानती हूँ लेकिन रूचि होने की वजह से पढ़ने की प्रक्रिया अनवरत चल रही है, जब भी …
Read More »मैत्रेयी पुष्पा की किताब में विचारों की विदाई के साथ प्रेम की भी विदाई है
मैत्रेयी पुष्पा की किताब आई है ‘वह सफ़र था कि मुकाम था’. किताब का विषय राजेंद्र यादव जी के साथ उनकी मैत्री है. इस पुस्तक पर यह टिप्पणी लिखी है साधना अग्रवाल ने- मॉडरेटर ================================= कभी हिंदी के लेखक आत्मकथा लिखने में संकोच करते थे लेकिन आज आत्मकथा लिखना …
Read More »‘उसने कहा था’ की सूबेदारनी और मैत्रयी पुष्पा की कलम
‘उसने कहा था’ कहानी अगले साल सौ साल की हो जाएगी. इस सन्दर्भ को ध्यान में रखते हुए कल हमने युवा लेखक मनोज कुमार पाण्डे का लेख प्रस्तुत किया था. आज प्रसिद्ध लेखिका मैत्रेयी पुष्पा का यह लेख. जो यह सवाल उठाता है कि क्या यह कहानी महज लहना सिंह …
Read More »मैत्रेयी पुष्पा के शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास ‘फ़रिश्ते निकले’ का एक रोचक अंश
मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों ‘इदन्न मम्’, ‘चाक’ का हिंदी में अपना मुकाम है. उनके शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास ‘फ़रिश्ते निकले’ का एक अंश आपके लिए- जानकी पुल. ================================ पहाड़पुर। हम जल्दी आ गए। हम एक लिपे-पुते बड़े से घरके सामने थे। इस गाँव की शुरुआत में ही हमें तालाब मिला। भरा हुआ तालाब। …
Read More »हमारा प्रेम और प्रथम विश्वयुद्ध
प्रसिद्ध लेखिका मैत्रेयी पुष्प की पुस्तक आई है किताबघर से ‘तब्दील निगाहें‘, जिसमें उन्होंने कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के स्त्रीवादी पाठ किए हैं. ‘उसने कहा था’ कहानी की नायिका सूबेदारनी के मन के उहापोहों को लेकर यह एक दिलचस्प पाठ है. पढ़ा तो आपसे साझा करने का मन हुआ- प्रभात रंजन …
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