Home / ब्लॉग / हरिशंकर परसाई की कविताएँ

हरिशंकर परसाई की कविताएँ

क्या हरिशंकर परसाई कविता भी लिखते थे? कांतिकुमार जैन के प्रयत्न से परसाई जी की दो कविताएँ सामने आई हैं। हो सकता है, और भी कविताएँ लिखी गई हों। अधिकांश लेखक कविता से ही शुरुआत करते हैं। परसाई जी कहते हैं, ‘शुरू में मैंने दो-तीन कविताएँ लिखी थीं पर मैं समझ गया कि मुझे कविता लिखना नहीं आता। यह कोशिश बेवकूफी है। कुछ लोगों को यह बात कभी समझ में नहीं आती और वे जिंदगी भर यह बेवकूफी किए जाते हैं।लेकिन जिसे लेखक खुद बेवकूफी बता रहा है, उसमें उसके भावी लेखन के प्रबल संकेत हैं और इस दृष्टि से इन कविताओं का महत्व असंदिग्ध है- जानकी पुल.
================= 

 1.
जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूं मैं ?
किसी के निर्देश पर चलना नहीं स्वीकार मुझको
नहीं है पद चिह्न का आधार भी दरकार मुझको
ले निराला मार्ग उस पर सींच जल कांटे उगाता
और उनको रौंदता हर कदम मैं आगे बढ़ाता
शूल से है प्यार मुझको, फूल पर कैसे चलूं मैं?
बांध बाती में हृदय की आग चुप जलता रहे जो
और तम से हारकर चुपचाप सिर धुनता रहे जो
जगत को उस दीप का सीमित निबल जीवन सुहाता
यह धधकता रूप मेरा विश्व में भय ही जगाता
प्रलय की ज्वाला लिए हूं, दीप बन कैसे जलूं मैं?
जग दिखाता है मुझे रे राह मंदिर और मठ की
एक प्रतिमा में जहां विश्वास की हर सांस अटकी
चाहता हूँ भावना की भेंट मैं कर दूं अभी तो
सोच लूँ पाषान में भी प्राण जागेंगे कभी तो
पर स्वयं भगवान हूँ, इस सत्य को कैसे छलूं मैं?

2. 
क्या किया आज तक क्या पाया?
मैं सोच रहा, सिर पर अपार
दिन, मास, वर्ष का धरे भार
पल, प्रतिपल का अंबार लगा
आखिर पाया तो क्या पाया?
जब तान छिड़ी, मैं बोल उठा
जब थाप पड़ी, पग डोल उठा
औरों के स्वर में स्वर भर कर
अब तक गाया तो क्या गाया?
सब लुटा विश्व को रंक हुआ
रीता तब मेरा अंक हुआ
दाता से फिर याचक बनकर
कण-कण पाया तो क्या पाया?
जिस ओर उठी अंगुली जग की
उस ओर मुड़ी गति भी पग की
जग के अंचल से बंधा हुआ
खिंचता आया तो क्या आया?
जो वर्तमान ने उगल दिया
उसको भविष्य ने निगल लिया
है ज्ञान, सत्य ही श्रेष्ठ किंतु
जूठन खाया तो क्या खाया?
हिंदी समय से साभार 
 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-10 अंतिम

आप पढ़ रहे हैं तन्हाई का अंधा शिगाफ़। मीना कुमारी की ज़िंदगी, काम और हादसात …

5 comments

  1. I like the efforts you have put in this regards for all the great content.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *