वेस्टलैंड-यात्रा बुक्स ने जब कहानी 140 यानी ट्विटर कहानी प्रतियोगिता की घोषणा की तो उम्मीद नहीं थी कि हिंदी के लेखक ऐसा प्रयास करेंगे, लेकिन अनेक लेखकों ने ट्विटर पर कहानी लिखकर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. पहले दिन पुरस्कार पाने वाले लेखकों में युवा लेखक त्रिपुरारि कुमार शर्मा भी थे. उनकी कुछ कहानियां १४० कैरेक्टर्स की. दो दिन अभी भी बचे हैं इस प्रतियोगिता के आप भी संकोच तोडिये और इस नई विधा में कहानी लिखकर प्रतियोगिता का हिस्सा बनें- जानकी पुल.
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1.
“क्या तुम वही हो जिसकी मुझे तलाश है?”
“तुम्हें क्या लगता है?” वह मुस्कुराया। और दोनों एक दूसरे से लिपट गए।
“तुम्हें क्या लगता है?” वह मुस्कुराया। और दोनों एक दूसरे से लिपट गए।
2.
दादी माँ कहती थी, “मैं मरने के बाद सितारा बनूँगी”
अभी-अभी एक सितारा टूटकर गिरा है, मैं दादीमाँ को खोज रहा हूँ।
अभी-अभी एक सितारा टूटकर गिरा है, मैं दादीमाँ को खोज रहा हूँ।
3.
सादे काग़ज़ पर सबसे नीचे बाबूजी का सिग्नेचर है। ये सोचकर कि उन्होंने मेरे लिए ख़त लिखा होगा, मैं रोज़ पढ़ता हूँ।
4.
मेरा गाँव बागमती नदी के किनारे बसा हुआ है। मुझे अब तक तैरना नहीं आया क्योंकि दुनिया नदी नहीं है।
5.
मरे हुए पिता का एक ज़िंदा चश्मा मेरे पास है। मैं देख रहा हूँ सही-ग़लत में फ़र्क़ और माँ के आँसू।
6.
मेरे नानाजी के घर के ठीक सामने बरगद का एक पेड़ था, जो बाढ़ में उखड़ गया। पता नहीं हज़ारों घोसलों का क्या हुआ?
7.
बाबूजी को मरे हुए 14 साल हो गए। माँ आज भी मेरी तस्वीर पर फूल चढ़ाकर, अगरबत्तियाँ दिखाती है।
8.
वो एक साल के बाद मेरे घर आई थी। बेडशीट पर प्रिंटेड नीले फूल महक रहे थे। हम बेलिबास थे।
9.
“विल यू बी माय वेलेनटाइन?”
लड़के ने पास ही खड़ी दूसरी लड़की से यही सवाल दोहराया। फूल लेते हुए वह मुस्कुराई।
लड़के ने पास ही खड़ी दूसरी लड़की से यही सवाल दोहराया। फूल लेते हुए वह मुस्कुराई।
10.
“तुम्हारे बच्चे बहुत ख़ूबसूरत है”
“ये बच्चे हमारे भी हो सकते थे” यह कहते हुए वह खिड़की से बाहर देखने लगा।
“ये बच्चे हमारे भी हो सकते थे” यह कहते हुए वह खिड़की से बाहर देखने लगा।
11.
सुना है मेरे छुटपन में, धुएँ का छल्ला उड़ाने वाले दादाजी बीड़ी पीते-पीते मर गए। तब से गाँव में धुँध नहीं लगती है।
12.
मुद्दतों बाद हम अचानक टकरा गए। हमने एक दूसरे को देखा, चार आँखों की एक क़ब्र बनाई और अपने-अपने रास्ते चले गए।
13.
झील के किनारे दोनों, दोपहर से शाम तक चुप बैठे रहे। अंधेरा होते ही होंठ आपस में बतियाने लगे।
bahut achhi.. sab ki sab..
thank u sir!
बहुत -बहुत बधाई …..
behad khoobsurat …
Congrats! 3, 7, 8 aur 13 khas taur se pasand aayeen. Yah ek nayee aur turantaa vidhaa kaa agaaz hai. In chaar mein vidhaa kaa sambhavit dam-kham jhalak rahaa hai.
excellent…………..
god bless you tripurari…and your creativity !!!
anu
congrets..tripurari..
Congrats Tripurari
Congrats Tripurari ji, Bahut hi pyari….roomani ….gahan abhivykti !!!!
badhai tripurari ji
bahut khub