Home / Featured / नेटफ्लिक्स का जंगल बुक सांप्रदायिक है

नेटफ्लिक्स का जंगल बुक सांप्रदायिक है

नेटफ्लिक्स पर जंगल बुक देख रहा था. उसमें मैंने देखा कि बघीरा मोगली को सिखा रहा था कि गाय का शिकार नहीं करना चाहिए क्योंकि वह हमारी माँ होती है. यही नहीं केवल एक शेर खान है जो जंगल में गाय का शिकार करता है. यह जंगल बुक का नया पाठ है. हालाँकि सैयद एस. तौहीद ने ‘जंगल बुक’ पर लिखे हुए इस बात को नजरअंदाज किया है जबकि मुझे यही बात खली थी. खैर, आप उनकी लिखी टिप्पणी पढ़िए- मॉडरेटर
================================
नब्बे के दशक में दूरदर्शन पर ‘द जंगल बुक‘ नाम से शुरु हुए  धारावाहिक के बाद मोगली का किरदार घर घर में लोकप्रिय हो गया था। गुलज़ार का लिखा शीर्षक गीत …जंगल जंगल बात चली है,पता चला है, चड्ढी पहन के फूल खिला है। लेखक रुडयार्ड किपलिंग की कहानी ‘द जंगल बुक’ पर आधारित इस किरदार पर हॉलीवुड में पहले भी फिल्म  बन चुकी है। लेकिन एनिमेटेड फॉर्म में थी। बच्चों को ध्यान में रखकर बनी थी।अब नेटफ्लिक्स एक नए नाम के साथ मोगली को फिर लेकर आया है। शीर्षक रोल में रोहन चंद ने प्रभावित किया।
नेटफ्लिक्स के मोगली में गहरी परतें किरदार में पढ़ने के लिए बहुत कुछ है। संवेदनाओ की परतें दिलचस्प हैं। भारत में फिल्म हिंदी में भी रिलीज़ की गई है। बॉलीवुड के जाने पहचाने नामों ने वॉइस ओवर देकर इसे रोचक बना दिया है।  यदि आपने दूरदर्शन के ज़माने वाला ‘द जंगल बुक’ देखा होगा तो मोगली के संसार को बदला हुआ पाएंगे। मूल कहानी हालांकि वही मिलेगी। लेकिन बहुत कुछ बदला हुआ है।
एक आदमखोर बाघ के हमले में मारे गए कुछ लोगों में एक छोटा बच्चा किसी तरह बच जाता है। इस बच्चे को बघीरा भेड़ियों के पास छोड़ देता है। भेड़िए इस मासूम की देखभाल व लालन -पालन करते हैं। यही बच्चा आगे चलकर जंगल को शेर से मुक्ति दिलाता है। मोगली कुल मिलाकर दादी नानी के किस्सों सी नहीं । यह एक बच्चे की खुद को जानने की यात्रा है।
मोगली जंगल को अपना परिवार समझता है । इंसान व पशुओं के संवाद हमारे भीतर के इंसान छू जाने का प्रयास करते हैं। मोगली की दिली ख्वाहिश है कि वह भेड़िये के रूप में पैदा हो। कोई भेड़िया इंसान के पास नहीं जाएगा। इंसान को पालतू पशुओं का शिकार मना है। कोई भेड़िया इंसान को  नहीं मारेगा क्योंकि इंसान का मरना आफत लाता है। यह आफत जंगल और जानवरों पर बराबर रूप से पड़ती है। यह  मूल आस्था कथा में रुचि का कारण है।
फ़िल्म के संवाद ठीक ठाक हैं। वॉयसओवर हालांकि बहुत प्रभावी बनते बनते रह गया। मूल जंगल बुक की कहानी में इंसानी बच्चे को जंगली जानवरों ने मिलकर पाला था। बच्चा अपनी प्रतिभाओं के साथ उनका बच्चा बन जाता है। नेटफ्लिक्स की फ़िल्म में ज़ोर प्रतिशोध पर है । बच्चे की आत्मा का पक्ष बहुत प्रकाश में नहीं।
जंगल का डरावनापन उसकी नैसर्गिक खूबसूरती से अधिक रच गया है।  प्रकृति के नैसर्गिक दृश्यों की यहां कमी खलती है। बहती नदी,पक्षियों के झुंड,दरख़्तों का कारवां सचमुच कमाल कर सकते थे। मोगली का दोस्त,नन्हा सफ़ेद भेड़िया आदि आसपास के साथियों में बहुत संभावनाएं थी। लेकिन उन्हें ऊपर ऊपर ही छुकर निकला गया है। मोगली कुल मिलाकर दादी नानी के किस्सों सी नहीं। यह एक बच्चे की यात्रा है। एक आत्मनवेषी सफ़र। जो कि बहुत सुंदर हो सकता था। किंतु बाक़ी ही रहा।
 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

‘अंतस की खुरचन’ पर वंदना गुप्ता की टिप्पणी

चर्चित युवा कवि यतीश कुमार के कविता संग्रह ‘अंतस की खुरचन’ की समीक्षा पढ़िए। यह …

One comment

  1. Hello I have read your article
    It’s good
    Thanku

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *