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कथा-कहानी

सौम्या बैजल की कहानी ‘संग-साथ’

सौम्या बैजल युवा लेखिका हैं. बदलते वक्त को कहानियों के माध्यम से समझने-कहने की कोशिश करती हैं. भाषा में भी हिंदी रोमन मिक्स लिखती हैं लेकिन निश्चित रूप से उनके पास कहने के लिए कुछ है और कहने का एक अपना सलीका भी है. जैसे कि यही कहानी देखिये- मॉडरेटर …

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सिनीवाली शर्मा की कहानी ‘अधजली’

सिनीवाली शर्मा समकालीन कथा लेखन में चुपचाप अपनी पहचान पुख्ता करती जा रही हैं. उनकी यह कहानी ‘कथादेश’ में आई है. जिसकी काफी चर्चा सुनी तो सोचा कि आप लोगों से भी साझा किया जाए- मॉडरेटर ================================================== इस घर के पीछे ये नीम का पेड़ पचास सालों से खड़ा है। …

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मदर्स डे और दिनकर की ‘रश्मिरथी’

मदर्स डे के दिन रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कृति ‘रश्मिरथी’ की याद भी आ जाती है. खासकर उसका पांचवां सर्ग, जिसमें कर्ण और कुंती का संवाद है. अवैध संतान होने की पीड़ा झेलता कर्ण और उसकी माँ कुंती, जिसने उसको कभी बेटा नहीं कहा. ‘रश्मिरथी’ के पांचवें सर्ग में वह …

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शर्मिला बोहरा जालान की कहानी ‘सिर्फ कॉफी’

शर्मिला बोहरा जालान समकालीन हिंदी कहानी में अपने अंडरटोन के साथ मौजूद हैं. कोलकाता में अलका सरावगी के बाद जो कथा पीढ़ी विकसित हुई उसमें वह सबसे सशक्त लेखिका हैं. भाषा, कहाँ सब में. फिलहाल उनकी एक छोटी सी कहानी- मॉडरेटर =============== मंजरी को कहीं भी जाना होता सबसे पहले …

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बौद्धिकता से लबरेज़ दिल्ली की एक ‘पियाली’ शाम

सईद अयूब बहुत कल्पनाशील तरीके से पिछले कई सालों से साहित्यिक आयोजन करते रहे हैं. करीब एक महीने पहले जब उन्होंने बताया कि सीपी के एक रेस्तरां में पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानियों पर चर्चा करनी है तो लगा कि बात कुछ अधिक ही कल्पनाशील तो नहीं हो गई? लेकिन कल …

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अनघ शर्मा की कहानी ‘शाहबलूत का पत्ता’

अनघ शर्मा सात साल से कहानियाँ लिख रहे हैं। उनकी कहानियों के नाम किसी कविता सरीखे हैं जो कहानी पढ़ने की उत्कंठा जगाते हैं। प्रस्तुत कहानी में उपशीर्षक एक सरप्राइज़ पैक हैं  जो पाठक के मन में आगे पढ़ी जाने वाली कहानी की आउटलाइन उकेर देते हैं जिनमें पाठक चितेरे …

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कश्मीर और सेना की पृष्ठभूमि में एक कहानी ‘इक तो सजन मेरे पास नहीं रे…’

गौतम राजऋषि सेना में कर्नल हैं. ‘पाल ले इक रोग नादां’ जैसे चर्चित ग़ज़ल संग्रह के शायर हैं. यह कहानी कश्मीर की पृष्ठभूमि में सेना के मानवीय चेहरे को दिखाती है. बहुत मार्मिक कहानी- मॉडरेटर ======================================= वो आज फिर से वहीं खड़ी थी। झेलम की बाँध के साथ-साथ चलती ये …

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उपासना झा की कहानी ‘अब जब भी आओगे’

पिछले कुछ समय में उपासना झा की कविताओं, कहानियों ने हिंदी के पाठकों, लेखकों, आलोचकों सभी को समान रूप से आकर्षित किया है. आज उनकी एक छोटी सी कहानी- मॉडरेटर =================================== लड़की चुपचाप डूबते सूरज की ओर मुंह किये बैठी थी। उसकी नाक की नोक लाल हो गयी थी। ठंड …

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रस्किन बांड और मसूरी के सेवॉय होटल के भूत

कल मैंने फेसबुक पर भूतों से अपने डर की बात लिखी थी. उसमें मैंने रस्किन बांड का जिक्र किया था. मसूरी में रहने वाले इस लेखक ने भूतों के अपनी मुलाकातों के बारे में खूब लिखा है. अभी हाल में ही उनकी एक किताब मिली हिंदी अनुवाद में ‘अजब गजब …

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70 साल का हुआ बाबा नागार्जुन का उपन्यास ‘रतिनाथ की चाची’

इधर इस बात पर ध्यान गया कि बाबा नागार्जुन के उपन्यास ‘रतिनाथ की चाची’ के लेखन का यह 70 वां साल है. इस उपन्यास के तीसरे संस्करण की भूमिका में नागार्जुन ने स्वयं यह लिखा है कि इसका रचनाकाल 1947 था. मुझे आज भी यह बात समझ में नहीं आई …

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