जोगेंद्र पॉल उर्दू के जाने माने लेखक थे. . हाल में ही उनका देहांत हुआI उनके उपन्यास ”नादीद ‘ ‘का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हुआ है’ब्लाइंड’ नाम से. अनुवाद सुकृता पॉल कुमार और हिना नंदराजोग ने किया है. अनुवाद की समीक्षा सरिता शर्मा ने की है – मॉडरेटर ======================== जोगेंद्र पॉल …
Read More »‘दिल्ली में पैसा है। गांव में कुछ भी नहीं’
कुछ महीने पहले बिहार के सिवान में ‘कथा शिविर’ का आयोजन किया गया था. जिसमें कई पीढ़ियों के लेखकों ने हिस्सा लिया. लेखक-लेखिकाओं ने वहां के जीवन को करीब से देखा और बाद में अपने लेखन में याद किया. यहाँ प्रसिद्ध लेखिका वंदना राग का रागपूर्ण स्मरण, जिसमें हर्ष भी …
Read More »दक्षिण कोरियाई फ़िल्म निर्देशक किम की-डुक की पंचतत्वीय अक्षुण्ण गाथा
कुछ दिन पहले हम ने श्री श्री की कविताएं पढ़ी थीं. आज उन्होंने प्रसिद्ध कोरियन फिल्म निर्देशक किम की डुक की पांच फिल्मों का सूक्ष्म विश्लेषण किया है. पढियेगा- मॉडरेटर ==================================================== सिनेमाई सौंदर्य को कठोर धरातल पर एक महीन दार्शनिक विद्वता के साथ समानांतर ले चलते हुए उस बोध पर …
Read More »ओलम्पिक के नाम डॉक्टर की चिट्ठी
आज व्यंग्यकार प्रवीण कुमार झा की चिट्ठी ओलम्पिक के नाम- मॉडरेटर ================================================ हम किस मिट्टी के बने हैं? किस चक्की का आटा खाते हैं? या सवाल यूँ तो वाहियात है, पर हमारी बनावट से जुड़ा है। उत्तर-पूर्व के लोग अक्सर फिट-फाट होते हैं, ‘V’ आकार के शरीर वाले। बंगाल-उड़ीसा तक आते-आते …
Read More »अंग्रेजी बोलना गौरव हरियाणवी बोलना कलंक! है न शोभा जी?
रियो ओलम्पिक और उसको लेकर खिलाड़ियों के ऊपर आने वाली ऊलजुलूल प्रतिक्रियाओं के बहाने जाने-माने पत्रकार, लेखक रंजन कुमार सिंह का एक चुभता हुआ, झकझोर देने वाला लेख- मॉडरेटर =============== मैं भारत का एक अदना सा नागरिक, रंजन कुमार सिंह, अपनी और से और अपनी औकात से बाहर जाकर पूरे …
Read More »आप भाग्यशाली हैं कि आप के पास अपना कहने के लिए एक देश है
कथाकार मनोज कुमार पाण्डे बहुत तार्किक ढंग से वैचारिक लेख लिखते हैं. आज़ादी को याद करने के मौसम में उनका यह लेख पढियेगा- मॉडरेटर ============================== आज के लगभग सत्तर साल पहले हमें वह आजादी मिली जिसे आज हम पाठ्य पुस्तकों में आजादी के नाम से पढ़ते जानते हैं। तब से …
Read More »दो नम्मर से साहित्य अकादमी रह गया था!
नॉर्वे प्रवासी डॉक्टर प्रवीण कुमार झा के व्यंग्य कुछ दिन न पढ़ें तो कुछ कुछ होने लगता है. यह ताज़ा है. पढियेगा- मॉडरेटर =================== जब हिंदी लिखने की सोची तो कवि कक्का का ख्याल आया। इलाके के इकलौते ‘सर्टिफाइड‘ कवि। बाबा नागार्जुन के साथ उठना-बैठना था। कहते हैं दो नम्मर …
Read More »हंसदा सोवेंद्र शेखर की कहानी ‘नवंबर प्रवास का महीना है’
आजकल आदिवासी जीवन को लेकर लेखन की चर्चा है. ऐसे में याद आया साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार 2015 से सम्मानित हंसदा सोवेंद्र शेखर की अंग्रेजी किताब ‘आदिवासी विल नॉट डांस’, जिसका हिंदी अनुवाद राजपाल एंड सन्ज प्रकाशन से शीघ्र प्रकाशित होने वाला है. अनुवाद हिंदी की युवा कवयित्री रश्मि भारद्वाज …
Read More »प्रीतपाल कौर की कहानी ‘एक औरत’
प्रीतपाल कौर एक जानी मानी पत्रकार रही हैं. विनोद दुआ की न्यूज पत्रिका ‘परख’ में थीं, बाद में लम्बे समय तक एनडीटीवी में रहीं. उनकी एक छोटी सी कहानी- मॉडरेटर ================================================= …
Read More »बेशर्म समय की शर्म का व्यंग्यकार मनोहर श्याम जोशी
आज हिंदी के विलक्षण लेखक मनोहर श्याम जोशी की जयंती है. इस मौके पर राजकमल प्रकाशन से उनका प्रतिनिधि व्यंग्य प्रकाशित हुआ है. जिसका संपादन आदरणीय भगवती जोशी जी के साथ मैंने किया है. आज उनको याद करते हुए उस पुस्तक की भूमिका-प्रभात रंजन ================================================ व्यंग्य मनोहर श्याम जोशी के …
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