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Tag Archives: irshad khan sikandar

मुआशरे को मुर्दा होने से बचाने वाली शायरी

कल जाने-माने शायर राजेश रेड्डी का जन्मदिन था। इस मौक़े पर पढ़िए मशहूर युवा शायर इरशाद ख़ान सिकन्दर का यह लेख, यह लेख पहले उर्दू में रावलपिंडी, पाकिस्तान से छपने वाली उर्दू पत्रिका ‘चहार सू’ के जनवरी 2023 अंक में प्रकाशित हुआ था, पत्रिका का यह अंक राजेश रेड्डी विशेषांक …

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‘जौन एलिया का जिन’ नाटक की समीक्षा

हाल में ही इरशाद खान सिकंदर का नाटक आया है ‘जौन एलिया का जिन’। राजपाल एंड संज से प्रकाशित इस नाटक की विस्तृत समीक्षा लिखी है राजशेखर त्रिपाठी ने। आप भी पढ़िए- ========================== मैं जो हूं जॉन एलिया हूं जनाब इसका बेहद लिहाज़ कीजिएगा …………………………………….. मुझसे मिलने को आप आए …

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चचा ग़ालिब के नाम भतीजे इरशाद ख़ान सिकन्दर का एक ख़त!

आज ग़ालिब की जयंती है। उनके नाम यह ख़त लिखा है जाने-माने युवा शायर इरशाद खान सिकंदर ने। आप भी पढ़िए- ======================== चचा आदाब चचा,मैंने भी आपकी नहज पर चलते हुए मुरासले को मुकालमा बना लिया है और गुस्ताख़ी ये कि मुख़ातिब भी आप ही से हूँ इस मौक़े पर …

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इक़बाल हसन की कहानी ‘रण्डी की मस्जिद

आज पढ़िए पाकिस्तान के लेखक इक़बाल हसन की कहानी। अनुवाद किया है जाने माने शायर और लेखक इरशाद खान सिकंदर ने- ================================ रानी बेगम का जी दुनिया से उचाट हो गया था। सारी उम्र उसने मर्द के बग़ैर गुज़ार दी थी। इश्क़ हुआ तो जाके कोई बावन बरस की उम्र में …

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युवा शायर #25 इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’ की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’ की ग़ज़लें। इरशाद की शायरी में रोज़मर्रा की ज़िंदगी के हालात और हर हाल में जीने का हौसला कुछ इस तरह मुँह जोड़ के चलते हैं, जैसे अंधेरे की बाँहों में रोशनी ने अपनी बाँहें डाल दी हों। एकदम अपनी ही …

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