Home / Featured / बिहार में राहत वितरण की तर्ज पर पुरस्कार वितरण

बिहार में राहत वितरण की तर्ज पर पुरस्कार वितरण

बिहार सरकार द्वारा जब भी साहित्यिक आयोजन होते हैं, पुरस्कार-सम्मान दिए जाते हैं तो उनको बदइन्तजामी, गुटबाजी, बंदरबांट के लिए ही याद किया जाता है. इस बार भी बिहार सरकार द्वारा 30-31 मार्च को बिहार सरकार द्वारा राजभाषा हिंदी साहित्य समागम का आयोजन किया गया. जो अन्य कारणों से अधिक चर्चा में रहे. हालाँकि यह बात भी है कि कम से कम हर साल ऐसे आयोजन हो तो रहे हैं बिहार में. युवा लेखक सुशील कुमार भारद्वाज द्वारा उसकी एक निष्पक्ष रपट प्रस्तुत है.

एक अरसे बाद, मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग के तत्वावधान में आयोजित “राजभाषा हिन्दी-साहित्य समागम” का आयोजन 30 एवं 31 मार्च 2017 को आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन सूबे के शिक्षा मंत्री श्री अशोक चौधरी ने किया तो विशिष्ठ अतिथि के रूप में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री मदन मोहन झा, मनोनीत विधान षार्षद  डॉ रामवचन राय, हिन्दी प्रगति समिति, बिहार के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण एवं पटना उच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायधीश श्री राजेंद्र प्रसाद मौजूद थे।

पहले दिन उद्घाटन के बाद हिन्दी सेवी सम्मान एवं पुरस्कार का वितरण वर्ष 2014-15 के लिए 13 एवं 2016-17 के लिए 17 साहित्यकारों के बीच किया गया। चेक वितरण के बाद “हिन्दी भाषा और नागरी लिपि का मानकीकरण” पर अखिल भारतीय गोष्ठी शुरू हुआ जो दूसरे दिन के पहले सत्र तक जारी रहा। इसके साथ ही हिन्दी पांडुलिपि प्रकाशन अनुदान राशि का वितरण किया गया। जबकि आयोजन का समापन केदारनाथ सिंह, विष्णु नागर, विश्वनाथ तिवारी, आलोक धन्वा, सत्यनारायण, बद्री नारायण, कुमार अम्बुज, दिनेश कुशवाहा, लीलाधर जगुड़ी, नचिकेता, विश्वरंजन, रबींद्र राजहंस और अरूण कमल जैसे प्रख्यात कवियों के बेहतरीन एवं ऐतिहासिक कविता-पाठ के साथ हुआ। इस यादगार पल के साक्षी बने साहित्यकार जाबिर हुसैन के निधि कोष से बने फणीश्वरनाथ रेणु हिन्दी भवन में मौजूद सूबे के वरिष्ठ एवं नये साहित्यकार।

इस सफल आयोजन में कितना साहित्य था और कितनी राजनीति ये तो बहस का एक अलग मुद्दा हो सकता है लेकिन आयोजन में शरीक लोगों ने ही कुछ प्रश्न लगा दिए। सबसे पहले तो राजेंद्र प्रसाद शिखर सम्मान से सम्मानित सूबे के वरिष्ठ साहित्यकार खगेंद्र ठाकुर ने ही मंच से बिगूल फूँक दिया- “जो विभाग सम्मान और पुरस्कार का फर्क नहीं समझता उसका सम्मान क्या लेना?” उनकी आपत्ति आमंत्रण पत्र की छपाई को लेकर भी थी। जबकि हिन्दी पर चर्चा करते -करते कुछ साहित्यकार मंच पर ही मैथिली और भोजपुरी के योगदान पर बुरी तरह उलझ गये जिसे बीचबचाव से समाप्त किया गया। हद तो तब हो गई जब कविता-पाठ के सत्र में  मंच-संचालक हिन्दी के प्रोफेसर बलराम तिवारी के हिन्दी कविता और मंचासीन कवि के संदर्भ में टिप्पणी पर कथाकार शेखर ने आपत्ति दर्ज की तो उन्होंने कहा कि यह एक सरकारी कार्यक्रम है और विभाग की ओर से मिले नाम के अतिरिक्त कुछ भी कहना संभव नहीं है।”

जहाँ एक ओर लोगों की नाराजगी राहत वितरण शिविर की तर्ज पर पुरस्कार वितरण पर थी तो कुछ लोग बहस तलब थे कि वर्ष 2015-16 के लिए माँगे गये आवेदन को ही वर्ष 2016-17 घोषित कर हकमारी की गई है। यदि मामला रूपये का नहीं है तो आखिर ये गोलमाल क्यों? घोषित पुरस्कार राशि को दो अथवा अधिक लोगों के बीच बाँट देने की परंपरा कोई नई नहीं है।

वहीं दूसरी ओर, दबी जुबान से यह टिप्पणी करने से भी लोग नहीं कतरा रहे थे कि सरकार ने जाबिर हुसैन साहब के विशेष प्रयास से तैयार भवन को गलत तरीके से सरकार ने न सिर्फ हथिया लिया  है बल्कि उन्हें सम्मानित करने की बजाय अपमानित करने के लिए उनके नाम पर हर बार एक मामूली राशि के पुरस्कार की घोषणा भी करती है जिसके स्वीकार करने या न करने संबंधी बातों को कभी मीडिया ने भी उठाना मुनासिब नहीं समझा।

पूरे कार्यक्रम के दरम्यान यह बहस भी मौजू रही कि सूबे के मुख्यमंत्री उर्दू के कार्यक्रम में न सिर्फ शरीक होते हैं, बल्कि उर्दू के प्रोत्साहन के लिए कई घोषणाएं  भी करते हैं लेकिन हिन्दी साहित्यकारों की सरकार की नजर में हैसियत ही इतनी है कि दूर -दराज से आये साहित्यकारों को भी शिक्षा मंत्री एवं रेणु के नाम पर सत्ता भोगने वाले साहित्यकारों के हवाले छोड़ दिया जाता है। शायद यहाँ भी वोट -बैंक हो।

कोई भी साहित्यिक कार्यक्रम बगैर शोर-शराबे के संपंन्न हो जाय और सबके चेहरे की रौनक बरकरार रहे, ये तो शायद ही संभव है लेकिन इस तरीके के कार्यक्रम आगे भी सफलता पूर्वक होते रहें इसी में सबों की भलाई है।

 
      

About Prabhat Ranjan

Check Also

शिरीष खरे की किताब ‘नदी सिंदूरी’ की समीक्षा

शिरीष खरे के कहानी संग्रह ‘नदी सिंदूरी’ की कहानियाँ जैसे इस बात की याद दिलाती …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *