शीन काफ निज़ाम की गज़लों के हम सब पुराने शैदाई रहे हैं लेकिन हम हिंदी वाले उनकी नज्में किसी मुकम्मल किताब में नहीं पढ़ पाए थे. खुशखबरी है कि वाणी प्रकाशन से उनकी नज्मों का संकलन आया है ‘और भी है नाम रस्ते का’. उसी संकलन से उनकी कुछ चुनिन्दा नज्में- मॉडरेटर
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1.
चाँद-सा प्यार
जाने, कितने लम्हे बीते—
जाने, कितने साल हुए हैं—
तुम से बिछड़े!
जाने कितने—
समझौतों के दाग लगे हैं
रूह पे मेरी!
जाने क्या क्या सोचा मैंने
खोया, पाया,
खोया मैंने
ज़ख्मों के जंगल पर लेकिन
आज—
अभी तक हरियाली है.
तुम ने
ठीक कहा था.
उस दिन—
‘प्यार चाँद-सा होता है
और नहीं बढ़ने पाता तो
धीरे-धीरे
खुद ही घटने लग जाता है!’
2.
तुम्हें देखे जमाने हो गए हैं
भरी है धूप ही धूप
आँखों में
लगता है
सभी कुछ उजला-उजला
तुम्हें देखे जमाने हो गए हैं
3.
अहसास होने का
पानी से पतला
कुछ नहीं होता
हवा से ज्यादा… शफ्फाक
आग से बढ़कर नहीं कुछ गर्म
ख़ाक है खुशबू का मम्बा1
कहने वालों को कहाँ अहसास
होने का तुम्हारे….
1. 1. स्रोत
4.
मैं अंदर हूँ
गंध से जाना…
बरसी है पेड़ों पर
रात
हवा ने भर दी है
रोम-रोम में
नींद
सोचा
कर दूँ बंद
किवाड़
मैं अंदर हूँ
मैं ही तो अंदर हूँ
खुले रहें किवाड़
आ जाए अंदर रात
क्या ले जाएगी
मैं जो अंदर हूँ!
5.
मौसम बदलने में देर ही लगती है कितनी
पीले हो गए पहाड़
आती नहीं
आवाज
कहीं से भी
झरने की
सुस्ताते सन्नाटों में
आते हैं,
कभी कभार
इक्का-दुक्का
परिंदे
जगाने उंघती यादें
मौसम बदलने में देर ही कितनी लगती है
6.
मौत
साथ है सब के मगर
किस कदर अकेली है
मौत
7.
परिन्द पिंजरा
अपने अपने पिंजरे में
कैद सब परिंदे हैं
अपनी अपनी बोली में
अपने दुःख सुनाते हैं
चोंच तेज करते हैं
फड़फड़ाते रहते हैं
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