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न्यूडिस्ट और नैचुरिस्ट आन्दोलन तथा मीनल जैन की चर्चा

मीनल जैन की आजकल बेहद चर्चा है क्योंकि लंदन में नग्न बाइक राइड करके उन्होंने सुर्खियाँ बटोरी हैं. गूगल पर उनकी नग्न तस्वीरें भरी हुई हैं. लेकिन उनके इस प्रयास पर एक गंभीर लेख मिला नीतीश के. एस. का. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर

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मीनल जैन आज कल चर्चा में हैं। हालाँकि उन्हें चर्चा में डेढ़ साल पहले होना चाहिए था। पता नहीं कैसे फ़ेसबुकिया लोग लेट हो गए। मीनल वर्ल्ड नेकेड बाइक राइड यानि WNBR में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय हैं। ब्रिटेन में रहने वाली अनिवासी भारतीय मीनल इस रेस का हिस्सा बनने से पहले से न्यूडिस्ट समुदाय से जुडी हैं। उनका अपना ब्लॉग भी है लेडी गोडिवा के नाम से, जो कि एक रोमन देवी के नाम पर है। इंटरनेट पर न्यूडिस्ट समुदाय के बीच मीनल एक जाना पहचाना नाम हैं।

न्यूडिस्ट और नैचुरिस्ट उन लोगों का समुदाय है जो बिना कपड़ों के रहना पसंद करते हैं। इसके ज़रिये वो पर्यावरण को बचाने की कोशिश करने के साथ लैंगिकता और यौन अपराधों के प्रति अपना विरोध भी जताते हैं। इन समुदायों को बहुत से लोग नापसन्द करते हैं, लेकिन हर साल इन समुदायों के साइज में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नग्नतावाद यानि न्यूडिज़्म को मानने वाले इस समुदाय को कई देशों में साधारण जनता के बराबर अधिकार मिले हैं और कुछ देशों में इन्हें एक निश्चित स्थान पर ही न्यूड रहने की इजाज़त है। इन समुदायों के विरोध की एक बड़ी वजह कल्चर से विरोधाभास है। लोग नग्नता को स्वीकार नहीं करते और समाज के ख़राब करने का आरोप लगाते हैं। हालाँकि एक आंकड़े के अनुसार अमेरिका के टेक्सास में सत्तर के दशक में, जब ये विचार वहां नया था, तब हर थाने में लगभग 3 हज़ार हिंसा के मामले हर साल दर्ज होते थे। दो दशक बाद जब वहां न्यूडिस्ट समुदाय में लोगों की गिनती बढ़ कर डेढ़ लाख से ऊपर पहुँच गयी तब यौन अपराध घट कर तिहाई रह गए। इसी काल में आबादी लगभग दुगनी हुई है वहां की।

नग्नतावाद का एक लाइन का कांसेप्ट है – क्लोदिंग ऑप्शनल। यानि कपडे पहनने की बाध्यता नहीं है। अगर आप बिना कपड़ों के सहज हैं तो वैसे ही रहिये। यानि सहज होना, स्वाभाविक होना महत्वपूर्ण है। शरीर, कपड़े जैसी चीज़ें दूसरे पायदान पर हैं। पहले पायदान पर किसी की स्वाभाविकता की इज़्ज़त करना है। अगर आप किसी की सीरत, स्वाभाव और सोच की इज़्ज़त नहीं कर पा रहे तो उसके कपड़ों और शरीर की इज़्ज़त करने का कोई औचित्य नहीं है।

इस वाद का ख़ूब विरोध होता है। नग्नता शब्द अपने आप ही विरोध को आमंत्रित कर लेता है। लेकिन एक अजीब बात ये है कि इस समुदाय में यौन अपराध न के बराबर होते हैं। ऐसा नहीं है कि इस समुदाय में यौनिकता वर्जित है, या फिर सेक्स नहीं होता। इस समुदाय में होने वाली यौनिकता आक्रामक नहीं है। वो सम्मानपूर्वक सहमति वाली यौनिकता है।

एक वक़्त आता है हर समुदाय में, जब वो संप्रदाय बनने की ओर अग्रसर होता है और पहले से स्थापित संप्रदाय उसका पुरजोर विरोध करते हैं। इस्लाम एक समय में समुदाय था, फिर संप्रदाय बना, और अब मज़हब है। मीनल जैन का विरोध इस्लाम के जानकारों द्वारा ही हुआ है अब तक। एक तो इसलिए कि वो बिना कपड़ों के है, दूसरा वो औरत है। तीसरा औरत हो कर बिना कपड़ों के है, चौथा अपनी मर्ज़ी का कर रही है। पांचवा औरत हो कर अपनी मर्ज़ी से बिना कपड़ों के है। सूरमा इसे शराफ़त से इतर जो कुछ भी हो सकता है वो सब क़रार दे रहे हैं। वो ये बात भूल रहे हैं कि खुद इस्लाम सीरत को सबसे अधिक तवज्जोह देता है।

ख़ैर, मेरी शुभकामनाएं मीनल के साथ हैं। और इसी के साथ ये जवाब पहले दे दे रहा हूँ, जो पहले भी कई दफ़े बता चुका हूँ, कि मीनल की जगह कोई भी होती या होता, मेरे घर परिवार की या फिर अजनबी, मैं उसका समर्थन यूँ ही करता। मुझे अच्छा लगा कि एक भारतीय ने ऐसे खुली सोच वाले मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।

 
      

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