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नायरा वहीद की कुछ कविताएँ

नायरा वहीद एक अफ्रीकी-अमेरिकी कवयित्री हैं। वहीद के ‘नमक’ और ‘नजमा’ नाम से दो काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। दोनों संग्रह नस्लवाद, महिला-विरोधी और ज़ेनोफ़ोबिया जैसी ताकतों के खिलाफ एक शांत धर्मयुद्ध करते हैं। वहीद अपनी नन्ही-नन्ही कविताओं में हमें पुकारतीं हैं, बहुत कम शब्दों में हमें बतातीं हैं कि वो क्या है जो हमें खुद से दूर ले जा रहा है, वे भोर की किरन की तरह हमारी जिन्दगी में उजियारा भरती हैं। जीवन का पुनर्मूल्यांकन करतीं ये कविताएँ खोल में लिपटे पूर्वाग्रहों, धारणाओं और भावनाओं को आहिस्ता से अलग करतीं हैं और हमें हमारे वजूद का अहसास करातीं हैं। भोजन में नमक की तरह ये कविताएँ लाखों-करोड़ों पाठकों के जीवन में अहम भूमिका निभा रहीं हैं जैसा कि अमेरिकी कवयित्री ऑड्रे लॉर्ड का भी कहना है: “कविता सिर्फ एक लक्जरी नहीं है यह हमारी जरूरत भी है।”

इन्स्टाग्राम पर बेहद लोकप्रिय इस कवयित्री के तीन सौ करोड़ से अधिक प्रशंसक हैं और ताज्जुब की बात यह है कि इतनी प्रसिद्धि के वावजूद किसी भी सोशल साईट पर उनका कोई एकाउंट नही और न ही उनकी कोई तस्वीर है| वर्जनाओं से निकलकर सतर्क और सचेत हो रास्ता ढूँढती वहीद की कविताएँ अफ्रीका के अलावा और कई देशों के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल की गयीं हैं| नायरा अंग्रेजी भाषा में लिखतीं हैं उनकी कुछ कविताओं के हिंदी अनुवाद नीता पोरवाल द्वारा-

 

1.
 
मैने तुम्हें प्यार किया
क्योंकि
यह
खुद को प्यार करने से ज्यादा
आसान था
 
 
2.
 
‘नही’
वह शब्द है
जो उन्हें गुस्से में भर देगा
और तुम्हें
आजादी देगा
 
 
3.
 
उदासी का
उसी तरह इन्तजार करो
जैसे तुम
इन्तजार करते हो बारिश का
दोनों ही
चमकाते हैं हमें   
 
 
4.
 
तुम्हारा
मुझे न चाहना
मेरे लिए
खुद को चाहने की शुरुआत थी 
तुम्हारा शुक्रिया!
 
 
 
5.
 
मुझे
हर महीने
रक्तस्राव होता है
मैं तब भी नही मरती  
मैं कैसे मान लूँ कि
मैं कोई जादू नही?
 
 
 
6.
 
मैं
इस बात को तवज्जो नही देती
कि दुनिया खत्म हो रही है
मेरे लिए तो यह
कई बार
खत्म हुई
और अगली सुबह
शुरू भी हुई
कई बार 
 
 
 
7.
 
मुझे खुद से प्यार है
और यह
अब तक की
सबसे शांत
सबसे सरल
सबसे ताकतवर
क्रांति थी
 
 
 
8.
 
बेशक तुम्हें कोई चाहता होगा
पर इसका मतलब यह नही
कि वे तुम्हारी कदर भी करते होंगे  
इसे एक बार फिर पढ़ें
और इन शब्दों को अपने दिमाग में गूँजने दें 
 
 
 
9.
 
ये कैसी
चौंका देने वाली कैमिस्ट्री है
कि आप मेरी बांह छूते हैं
और लपटें  
मेरे दिमाग में उठने लगतीं है
 
 
 
10.
 
इच्छा
एक ऐसी शय है
जो तुम्हें खा जाती है
वहीँ तुम्हें  
भूखा भी छोड जाती है
 
 
 
11.
 
यह
अपने दर्द के बारे में
ईमानदार होना ही है  
जो मुझे अजेय बनाता है 
 
 
 
12.
 
उन पर
कभी भरोसा मत करना
जो कहते हैं
कि उन्हें रंग नजर नही आते
इसका मतलब है
कि उनके लिए
तुम अदृश्य हो
 
 
 
13.
 
अगर कोई मुझे चाहेगा नही 
तो दुनिया खत्म नही हो जायेगी
पर अगर मैं खुद को नही चाहूंगी
तो दुनिया जरूर खत्म हो जायेगी
 
 
 
14.
 
 
 
“फूल का काम
आसान नहीं
लपटों के बीच
नरम बने रहने में
वक़्त लगता है।”
 
 
 
15.
 
मेरे पास
प्रेम के लिए
सात अलग-अलग लफ्ज़ थे
तुम्हारे पास
सिर्फ एक
मेरी बात में वजन है
 
मानोगे?
 
अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद: नीता पोरवाल
 
      

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9 comments

  1. कमाल की कविताएं।

  2. वाकई मानीखेज़ कविताएँ…अस्तित्ववाद को प्रतिपादित करती, स्त्री अस्मिता से ओत-प्रोत कविताएँ हैं। नायरा वहीद मेरी प्रिय कवियत्रियों में से एक हैं, उन्हें आज हिंदी में पढ़ना, भला लग रहा है। नीता जी आपने बहुत खूबसूरत अनुवाद किया है…अक्षरशः सटीक 👍

    आपको बधाई 💐

  3. कुछ पंक्तियों में भैरवी के स्वर

    आह से आहा तक !!!

    ढेरो बधाइयाँ दोनों को ही

  4. प्रवेश सोनी

    पढ़ कर कभी न भूल जाने वाली कविताएं है

    शुक्रिया

    शुभकामनाएं

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