कविता को अभिव्यक्ति का सबसे सच्चा रूप माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कवि कविता के माध्यम से अपने दिल की सबसे सच्ची बातों को अभिव्यक्त करता है. अभिव्यक्ति जितनी सच्ची होती है पढने वाले को अपने दिल की आवाज लगने लगती है. बाल कवि अमृत रंजन अब किशोर कवि बन चुका है और 15 साल की उम्र में उसकी कविता कई बार दार्शनिक अभिव्यक्ति लगने लगती है. उसकी कुछ बेहद परिपक्व कविताएँ आज प्रस्तुत हैं- मॉडरेटर
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नाजायज़
उस जगह,
बहुत दूर,
जहाँ ज़मीन और आसमाँ मिले थे,
चाँद जन्मा था।
अब न ज़मीन का है,
न आसमाँ का।
दास्तां कहती है,
संसार ने गोद ले लिया।
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किसान
छीन रहे हैं सब आसमान को।
सबको एक हिस्सा चाहिए।
उस आसमान के हिस्से में
अपनी ज़मीन लगाएँगे।
क्या है कि ज़मीन अकेली पड़ रही है,
बूढ़ी होती जा रही है।
किसी दूर के ज्ञानी ने कहा है:
प्यार की उमर नहीं होती,
अर्थात् प्यार से उमर नहीं होती है।
अगर अनगिनत दूरी पूरब की तरफ़ ताकोगे,
तो मेरे हिस्से का आसमान दिखेगा।
बहुत नीला है।
मेरी दो बीधा ज़मीन को
तो देखते ही प्यार हो जाएगा।
और फिर मेरी ज़मीन,
भरके फ़सल दिया करेगी।
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ख़ाली
सन्नाटा चुभ रहा था।
चीखें किसी चीज़ से
टकराया न करती अब।
वो सन्नाटा,
जो चीखता है।
मौत सुझाव।
इन सबका।
मौत सुझाव,
उस हवा का,
जो मेरी सांस रोकती है।
उस पानी का,
जिससे प्यास बढ़ती है।
मैं कायर नहीं हूँ।
मौत बस न जीने का बहाना है।
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अपवर्तन
रेगिस्तान में सूरज कैसे डूबता है?
क्या बालू में,
रौशनी नहीं घुटती?
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नामुमकिन
जब समय का काँच टूटेगा,
तब सारा समय अलग हो जाएगा।
वक़्त का बँटवारा,
न जाने कैसे,
मुमकिन।
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बेचैन
कितना और बाक़ी है?
कितनी और देर तक इन
कीड़ों को मेरे जिस्म पर
खुला छोड़ दोगे?
चुभता है।
बदन को नोचने का मन करने लगा है,
लेकिन हाथ बँधे हुए हैं। पूरे जंगल की आग को केवल मुट्ठी भर पानी से कैसे बुझाऊँ।
गिड़गिड़ा रहा हूँ,
रोक दो।
बहुत अर्थपूर्ण!
nice sir, you are great sir, you are best blogger in india
दिल की सारी कसक, सारी पीड़ा उतर आई है, वो पीड़ा सिर्फ अमृत की नहीं, औरों की भी हो सकती है….”मैं कायर नहीं हूँ, मौत बस न जीने का बहाना है”….
श्रेष्ठ, साझा करने हेतु धन्यवाद
very interesting article, thanks for sharing
बहुत बढिया सर जी.
किशोर कवि की प्रौढ़ अभिव्यक्ति। वाह!!